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आदर्श पंत एथिकल हैकिंग चैंपियनशिप के विजेता

  • आठ घंटे की चैंपियनशिप में 80 प्रतिभागी शामिल हुए
  • एडीजी अशोक कुमार ने किया चैंपियनशिप का उद्घाटन
  • रेडिक्स एकेडमी, नेहरू कॉलोनी ने किया था प्रतियोगिता का आयोजन

देहरादून


देहरादून में एथिकल हैकिंग चैंपियनशिप के विजेता आदर्श पंत घोषित किए गए। आदर्श ने कड़े मुकाबले में 80 प्रतिभागियों को पीछे छोड़ते हुए चैंपियनशिप पर विजय हासिल की। इससे पहले आयोजक संस्थान रेडिक्स एकेडमी, नेहरू कॉलोनी में युवाओं को एथिकल हैकिंग और साइबर सुरक्षा से जुड़े इश्यु की निशुल्क ट्रेनिंग उपलब्ध कराई।

संस्था की प्रबंध निदेशक नेहा शर्मा ने बताया कि निर्धारित समय पर चैंपियनशिप शुरू हो गई थी। इसमें सात राउंड के लिए 80 प्रतिभागी शामिल हुए। पहले राउंड में अलग-अलग समूहों में दस-दस प्रतिभागी शामिल हुए। पहले राउंड में प्रदर्शन के आधार पर तीन-तीन प्रतिभागियों को सेलेक्ट किया गया। इस तरह नॉक आउट राउंड के आधार पर अंतिम राउंड में विजेता को चयन हुआ। आदर्श पंत को प्रतियोगिता का विजेता घोषित किया गया।

सोमवार सुबह साइबर रेडिक्स एकेडमी , नेहरू कॉलोनी में उत्तराखंड की सबसे बड़ी हैकिंग चैंपियनशिप – “हैक-ट्रिक्स2के17” का उद्घाटन अपर पुलिस महानिदेशक (प्रशासन) अशोक कुमार और उनकी पत्नी वीमेन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की निदेशक अलकनंदा अशोक ने संयुक्त रूप से किया। प्रमुख व्यवस्थापकों मनीष त्यागी, यश वर्मा, अनुराग भट्ट और मानव गर्ग की देखरेख में 80 प्रतिभागियों ने चैंपियनशिप में भाग लिया। इससे पहले साइबर एवं फॉरेंसिक एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत ने प्रतिभागियों को चैंपियनशिप के स्तर, चुनौतियों और नियमों की जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि प्रतियोगिता को सात चरणों में बांटा गया था। हर राउंड एक नॉक-आउट राउंड हुआ। शीर्ष विजेता को पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपये तक के इंटरनेशनल लेवल के कोर्स कराए जाएंगे। चैंपियनशिप सिस्टम स्कैनिंग , सिस्टम हैकिंग , ट्रोजन्स, रैट्स , स्टेग्नोग्राफी, रैनसमवेयर अटैक्स, डिफेंस , वल्नेरेबिलिटी और एक्सप्लॉइट विषयों पर होगी। इस अवसर संस्थान की प्रबंधक सोनम तडियाल भी उपस्थित रहीं।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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