Featuredhealth

AIIMS Rishikesh ने बताए ब्रेस्ट कैंसर के लक्षण

जागरूकता की कमी से औसतन आठ में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर की चपेट मेंः AIIMS

ऋषिकेश। ब्रेस्ट कैंसर को लेकर जागरूकता के लिए एम्स ऋषिकेश ने शिविर लगाया और लोगों को नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जागरूक किया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह की देखरेख में लगे स्वास्थ्य शिविर में कई महिलाओं ने स्क्रीनिंग के लिए पंजीकरण कराया।

शिविर में बताया गया कि स्तन में या स्तन के आसपास गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिंपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना अथवा उसमें जलन पैदा होना तथा पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना स्तन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं। ऐसे में रोगी को समय रहते डॉक्टर से परामर्श लेकर अपना इलाज कराना चाहिए।

इस दौरान एकीकृत स्तन उपचार केंद्र के प्रभारी और एम्स के वरिष्ठ शल्य चिकित्सक डॉ. फरहान उल हुदा ने बताया कि समय रहते इस बीमारी के लक्षणों पर ध्यान नहीं देने और जागरूकता की कमी से यह घातक रूप ले चुका होता है।

उन्होंने बताया, उपचार में देरी और बीमारी को छिपाने से ब्रेस्ट कैंसर जानलेवा साबित होता है। डॉ. फरहान के अनुसार, महिलाएं अक्सर इस बीमारी के प्रति जागरूक नहीं रहतीं। लिहाजा जागरूकता के अभाव में औसतन आठ में से एक महिला इस बीमारी से ग्रसित हो जाती है। एम्स में ’एकीकृत स्तन उपचार केंद्र’ (आईबीसीसी )में इस बीमारी की सघनता से जांच और बेहतर इलाज की सुविधा उपलब्ध है।

शल्य चिकित्सा विभाग और कम्युनिटी एवं फेमिली मेडिसिन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित शिविर में स्वास्थ्य परीक्षण करने के साथ-साथ स्तन कैंसर से संबंधित विस्तृत जानकारियां भी दी गईं।

ओपीडी एरिया में एमबीबीएस के छात्रों ने नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर रोगियों और उनके तीमारदारों को इस बीमारी से बचाव व उपचार संबंधी जानकारी दी।

सीएफएम विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मीनाक्षी खापरे ने महिलाओं को इस रोग के बारे में विस्तार से समझाया। इस दौरान एकीकृत स्तन उपचार केंद्र की सीनियर रेजिडेंट डॉ. अनन्या, डॉ. विधु, सीनियर नर्सिंग ऑफिसर दीप्ति रावत आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button