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बड़ी खबर: अब एम्स ऋषिकेश में हो रही छोटे बच्चों की हार्ट सर्जरी

CTVS Department में हाल ही में शिशुओं के बेहद दुर्लभ और जटिलतम ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए

ऋषिकेश। न्यूज लाइव

शिशु हृदय शल्य चिकित्सा (Pediatric Heart Surgery) की सुविधा भारत में बहुत कम अस्पतालों मे उपलब्ध है, जबकि उत्तराखंड जैसे पर्वतीय राज्य में यह सुविधा अब तक उपलब्ध ही नहीं थी, लिहाजा मरीजों को दिल्ली, मुंबई, चंडीगढ़ जैसे महानगरों के चक्कर लगाने पड़ते थे, यह स्थिति उपचार के लिए समय के साथ साथ आर्थिक रूप से सुविधाजनक नहीं थी। मगर एम्स ऋषिकेश में शिशु शल्य चिकित्सा सुविधा से उत्तराखंड व समीपवर्ती राज्यों के लोगों को काफी हद तक राहत मिली है।

एम्स ऋषिकेश के CTVS- Cardiothoracic and Vascular Surgery विभाग में हाल ही में शिशुओं के बेहद दुर्लभ और जटिलतम ऑपरेशन सफलतापूर्वक किए गए।

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एम्स की विज्ञप्ति के अनुसार, हरिद्वार निवासी तीन वर्षीया बच्ची जो कि TOF, AVSD (TET CANAL) नामक जन्मजात बीमारी से ग्रसित थी, जिसमें बच्चे का शरीर नीला पड़ जाता है। बच्चे के माता- पिता उसके इलाज के लिए महानगरों के सभी बड़े अस्पतालों से निराश होकर आखिरी उम्मीद लेकर एम्स ऋषिकेश आए। यहां CTVS विभाग के बाल शल्य चिकित्सक डॉ. अनीश गुप्ता ने बच्ची की बीमारी की संपूर्ण जांच कराने के बाद अपनी टीम के साथ सफलतापूर्वक उपचार को अंजाम दिया। शल्य चिकित्सा के दौरान उसके दिल के दो वाल्व रिपेयर किए गए और दो छेद बंद किए, साथ ही फेफड़े में खून जाने का रास्ता खोला गया। हृदय की सफल जटिल शल्य चिकित्सा के बाद अब बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है।

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सीटीवीएस की उपविभागाध्यक्ष डॉ. नम्रता गौर ने बताया कि यह बच्ची DOWN SYNDROME( डाउन सिंड्रोम) से भी ग्रसित है। पहले इस तरह की बीमारियों से ग्रसित बच्चे इलाज के अभाव मे दम तोड़ देते थे, मगर अब एम्स ऋषिकेश में इस तरह की बीमारियों का सफल उपचार नियमित रूप से किया जा रहा है।

क्या है TET CANAL 

डॉ. अनीष गुप्ता के अनुसार यह एक जटिल बीमारी है, जबकि DOWN SYNDROME एक जेनेटिक बीमारी है। जिससे बच्चा दिमागी तौर से कमजोर होता है। TET CANAL और DOWN SYNDROME साथ में होने से समस्या और भी जटिल हो जाती है, क्योंकि एक तरफ दिल की बीमारी और दूसरी तरफ बच्चे का मानसिक रूप से कमजोर होना। ऐसे बच्चे समय पर चिकित्सा के अभाव में खासकर कम स्वास्थ्य सुविधाओं वाले उत्तराखंड जैसे राज्यों में अक्सर ज़िंदगी से हाथ धो बैठते हैं।

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उन्होंने बताया कि CTVS विभाग ने इस तरह की दुर्लभ बीमारियों की शल्य चिकित्सा पहले भी सफलतापूर्वक की है। एम्स अस्पताल में आयुष्मान भारत योजना लागू होने के चलते मरीजों को आर्थिक कारणों से भी उपचार कराने में परेशान नहीं होना पड़ता। जनसाधारण को बच्चों के इस तरह की समस्या से ग्रसित होने की स्थिति में जागरूक रहने की आवश्यकता है।

  • यह न्यूज एम्स की विज्ञप्ति पर आधारित है।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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