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एक ही जोक पर बार-बार नहीं हंस सकते तो…

 किसी गांव में एक चतुर व्यक्ति रहता था। आसपास के कई गांवों के लोग भी उसके पास समस्याएं लेकर आते थे। उस व्यक्ति ने महसूस किया कि लोगों की समस्याएं लगभग एक जैसी हैं, लेकिन स्थान और लोग बदल जाते हैं। बार-बार एक ही तरह की समस्या पर चिंतित होने और मशविरा करने के लिए उसके पास आना ग्रामीणों की आदत बन गया था।

एक दिन उसने ग्रामीणों को एक जोक सुनाया। ग्रामीण ठहाके मारकर हंसने लगे। थोड़ी देर में उसने फिर वही जोक सुना दिया। इस बार लोग पहले से कम हंसे। तीसरी बार भी वही जोक सुना दिया। लोग मुस्करा कर रह गए। चौथी बार कोई न तो मुस्कराया और न ही हंसा। जोक पर लोगों को कोई प्रतिक्रिया नहीं होने पर चतुर व्यक्ति ने कहा, अब आप लोग बताओ, जब आप एक ही जोक पर बार-बार नहीं हंस सकते तो हमेशा एक ही समस्या पर बार-बार रोने का क्या मतलब है।  

यह कहानी इशारा करती है कि घबराने या चिंता करना किसी समस्या का हल नहीं है। यह पूरी तरह समय और ऊर्जा को बर्बाद करने जैसा है।

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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