हरिद्वार के जगजीतपुर और सराय में बनेंगे 171 करोड़ के एसटीपी
नई दिल्ली। हरिद्वार में 171.53 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से जगजीतपुर में 68 एमएलडी और सराय में 14 एमएलडी की क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण जल्द शुरू होगा। एचएनबी इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को इसका कांट्रेक्ट दिया गया है। दोनों परियोजनाओं के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सीवेज गंगा नदी में न बहे। दोनों परियोजनाएं केन्द्रीय सहायता प्राप्त हैं।
केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री नितिन गडकरी ने स्वच्छ गंगा राष्ट्रीय मिशन पर बुधवार को नई दिल्ली में संवादमूलक वेबसाइट शुरू की, ताकि कॉरर्पोरेट गंगा संरक्षण के लिए सामाजिक जिम्मेदारी को हाथ में ले सकें। इस वेब पेज के जरिए कॉरर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) कोष के अंतर्गत ली जा सकने वाली संभावित परियोजनाओं और गतिविधियों का विवरण आसानी से प्राप्त हो सकता है। यह वेब पेज एनएमसीजी की वेबसाइट www.nmcg.nic.in पर उपलब्ध है। गडकरी ने एनएमसीजी सूचना पत्र का शुरुआती अंक जारी किया।
इस अवसर पर गडकरी ने कहा कि नमामि गंगे कार्यक्रम में अगले वर्ष दिसम्बर तक महत्वपूर्ण प्रगति दिखाई देगी और कार्यक्रम का बड़ा हिस्सा मार्च 2019 तक समाप्त हो जाएगा। गडकरी ने निजी क्षेत्र का आह्वान किया कि वे सीएसआर गतिविधियों के अंतर्गत नमामि गंगे की विभिन्न परियोजनाओं का जिम्मा संभालें। उन्होंने धार्मिक संस्थानों और एनजीओ का आह्वान किया कि वे गंगा नदी के किनारे बसे गांवों को गोद लेकर उन्हें आदर्श गंगा ग्राम के रूप में विकसित करें। गडकरी ने जानकारी दी कि नमामि गंगे की 184 परियोजनाओं में से 46 अब तक पूरी हो चुकी हैं और शेष परियोजनाएं पूरा होने के विभिन्न चरणों में हैं।
गडकरी ने कहा कि निर्मल गंगा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि गंगा नदी के तट पर बसे 97 शहरों का 1750 एमएलडी सीवेज कचरा गंगा नदी में चला जाता है। इन सभी शहरों में राज्य सरकारों, नगर निगम और कॉरर्पोरेट कंपनियों की मदद से सीवेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 14 अक्तूबर को पटना में 140 एमएलडी के चार एसटीपी स्थापित करने की आधारशिला रखेंगे। गंगा के तट पर एनटीपीसी की 23 विद्युत परियोजनाएं हैं और हम इन विद्युत परियोजनाओं को एसटीपी का दोबारा प्रयोग में आने लायक पानी बेचने की योजना बना रहे हैं। इस पानी का इस्तेमाल ट्रेनों की धुलाई के लिए किया जा सकता है और किसान सिंचाई के लिए भी इसे इस्तेमाल कर सकते हैं। इस तरीके से हम गंगा में सीवेज का पानी बिल्कुल नहीं गिरने देने की अवस्था तक पहुंच सकते हैं।
इस अवसर पर एनएमसीजी और राज्य स्तर की एजेंसियों (हरिद्वार के लिए उत्तराखंड पेयजल निगम और उत्तर प्रदेश के लिए उत्तर प्रदेश जल निगम) ने सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के निर्माण और रखरखाव के लिए निजी क्षेत्र के रियायत पाने वालों के साथ त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। वाराणसी 50 एमएलडी के एसटीपी निर्माण, उसके संचालन और रखरखाव का कार्य 153.16 करोड़ की अनुमानित लागत पर एस्सेल इन्फ्रा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के नेतृत्व वाले संकाय को सौंपा गया है।
हरिद्वार में, एचएनबी इंजीनियर्स प्राइवेट लिमिटेड को 171.53 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत पर 82 एमएलडी (जगजीतपुर में 68 एमएलडी और सराय में 14 एमएलडी) की क्षमता के सीवेज शोधन का ठेका प्राप्त हुआ है। माना जा रहा है कि इस समझौते पर हस्ताक्षर होना निर्मल गंगा के स्वप्न को हकीकत में बदलने की दिशा में एक प्रमुख कदम है। भारत में ऐसा पहली बार हुआ है कि हाइब्रिड एन्यूइटी आधारित पीपीपी मोड को सीवरेज क्षेत्र में अपनाया गया है। एनएमसीजी का कार्य यहीं पर नहीं रूकता है। हाइब्रिड एन्यूइटी मोड (एचएएम) के अंतर्गत सीवेज शोधन परियोजना का दूसरा भाग तैयारी के चरण में है।
एचएएम के अंतर्गत मंजूर आगामी परियोजनाओं में इलाहबाद में नैनी, झूंसी और फाफामऊ में एसटीपी (72 एमएलडी), कानपुर के साथ लगे उन्नाव, शुक्लागंज और बिठूर (21.4 एमएलडी),बिहार में दीघा और कंकड़बाग (150 एमएलडी), कोलकाता और हावड़ा (141 एमएलडी), फर्रूखाबाद (30 एमएलडी), भागलपुर (65 एमएलडी) एसटीपी शामिल हैं। इनमें से 10 परियोजनाओं के लिए टेंडर दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। इस अवसर पर केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और डॉ. सत्यपाल सिंह उपस्थित रहे।