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कहानीः चूहे की मदद से जान बचाकर भागी बिल्ली

एक बार एक बिल्ली शिकारी के जाल में फंस गई। एक चूहा बिल से बाहर निकलकर जाल तक पहुंच गया। चूहे ने बिल्ली को जाल में फंसा देखा तो निडर होकर जाल के पास ही खेलने लगा। तभी उसने देखा कि एक नेवला वहां पहुंच गया, जो चूहे को खाना चाहता था। पास ही पेड़ पर बैठा उल्लू उन दोनों की तरफ घूर रहा था। उल्लू नेवला और चूहे दोनों को खाना चाहता था।

चूहे ने सोचा कि थोड़ी देर में बिल्ली को शिकारी ले जाएगा। नेवला उस पर झपटने की कोशिश करेगा और उल्लू उन दोनों (नेवला और चूहा) दोनों को अपना भोजन बना लेगा। चूहे ने विचार किया कि क्यों न बिल्ली को बचा लिया जाए। बिल्ली की शह पर वह अपने बिल में पहुंच जाएगा लेकिन इससे पहले बिल्ली से वादा कराना होगा कि वह उसकी जान बचाएगी।

चूहा जाल में फंसी बिल्ली से बोला कि अगर तुम वादा करती हो कि मुझे नेवला और उल्लू से बचाओगी, तो मैं जाल काटकर तुम्हारी जान बचा लूंगा। अगर नहीं, तो थोड़ी देर में शिकारी तुम्हें यहां से उठा ले जाएगा। बिल्ली ने चूहे की बात मान ली। चूहे ने तेज दांतों से धीरे-धीरे जाल को काटना शुरू कर दिया। उसने बिल्ली को आजाद करने से पहले शिकारी के आने का इंतजार किया। शिकारी को आते देखकर ही उसने बिल्ली को आजाद कर दिया। दहशत के मारे बिल्ली ने चूहे की परवाह नहीं की और तेजी से भागने लगी।

चूहा भी अपनी जान बचाने के लिए किसी तरह अपने बिल तक दौड़ लिया। बिल्ली को आजाद देखकर नेवला भी भाग गया। यह नजारा देखकर उल्लू निराश होकर रह गया। उल्लू ने स्वयं से कहा, कोई बात नहीं इस चूहे को तो फिर देख लूंगा। एक दिन बिल्ली ने बिल में बैठे चूहे को आवाज लगाई, दोस्त- बाहर आकर मेरे साथ खेलो। चूहे ने भीतर से ही जवाब दिया। अब तुम मेरी दोस्त नहीं हो। उस समय हमारी दोस्ती एक दूसरे की जान बचाने के लिए हुई थी। अब न तो तुम्हारी जान को कोई खतरा है और न ही मेरी जान को। अगर मैं बाहर आया तो तुम मुझे खा जाओगी।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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