एक बार की बात है, एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम नील था। नील को रातों को आसमान देखना बहुत पसंद था। वह रोज रात को अपनी खिड़की के पास बैठकर चांद और तारों को घंटों निहारता रहता था।
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बच्चों की छोटी कहानियांः नील और चंदा मामा

एक बार की बात है, एक छोटा सा लड़का था जिसका नाम नील था। नील को रातों को आसमान देखना बहुत पसंद था। वह रोज रात को अपनी खिड़की के पास बैठकर चांद और तारों को घंटों निहारता रहता था।

एक रात, नील ने चांद से पूछा, “चंदा मामा, आप इतने चमकदार क्यों हो?”

चांद ने मुस्कुराते हुए कहा, “बेटा, मैं पृथ्वी को रोशन करने के लिए चमकता हूं। मैं तुम्हें और तुम्हारे दोस्तों को रात में खेलने के लिए रोशनी देता हूं।”

तभी, एक तारा टिमटिमाया और बोला, “मैं भी चमकता हूं, नील। मैं तुम्हें रात में सपने दिखाने के लिए चमकता हूं।”

नील बहुत खुश हुआ। उसने सोचा कि चांद और तारे कितने अच्छे हैं जो हमेशा हमारे लिए चमकते रहते हैं।

अगली रात, नील ने अपने दोस्तों को चांद और तारों के बारे में बताया। उसके दोस्त भी बहुत खुश हुए और उन्होंने रात को आसमान देखने लगे।

कहानी का संदेश:

यह कहानी हमें सिखाती है कि आसपास की हर चीज़ का एक महत्व होता है। चांद और तारे हमें रात में रोशनी देते हैं और हमें खुश रखते हैं। हमें प्रकृति की इन खूबसूरत चीज़ों का सम्मान करना चाहिए।- AI Generated

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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