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कोरोना संकटः केंद्र के राज्यों को शहरों में लोगों की आवाजाही बंद करने के निर्देश

प्रवासी श्रमिकों के लिए कार्यस्थल पर ही व्यवस्थाएं की जाएं

समय पर वेतन भुगतान भी सुनिश्चित किया जाए

विद्यार्थियों/श्रमिकों को कमरा या घर खाली करने को कहने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें

नई दिल्ली। कैबिनेट सचिव और गृह मंत्रालय राज्यों के मुख्य सचिवों एवं पुलिस महानिदेशकों (डीजीपी) के साथ निरंतर संपर्क में हैं। कैबिनेट सचिव एवं गृह सचिव ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मुख्य सचिवों और डीजीपी के साथ विचार-विमर्श किया।
सामान्‍यत: सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में दिशा-निर्देशों पर प्रभावकारी ढंग से अमल किया गया है। आवश्यक आपूर्ति भी निरंतर सुनिश्चित की जा रही है। पूरी स्थिति पर चौबीसों घंटे पैनी नजर रखी जा रही है और मौजूदा हालात के अनुसार आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं।

हालांकि, देश के कुछ हिस्सों में प्रवासी श्रमिकों की आवाजाही हुई है। इस आशय के निर्देश जारी किए गए थे कि जिलों और राज्यों की सीमाओं को प्रभावकारी ढंग से सील कर दिया जाए। राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया था कि शहरों या राजमार्गों पर लोगों की कुछ भी आवाजाही नही होनी चाहिए। केवल माल की आवाजाही की ही अनुमति दी जानी चाहिए।

इन निर्देशों पर अमल के लिए जिलाधिकारियों (डीएम) और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) को व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। यह सलाह दी गई है कि प्रवासी श्रमिकों सहित गरीबों और जरूरतमंद लोगों के भोजन एवं आश्रय की पर्याप्त व्यवस्था उनके कार्यस्‍थलों पर ही की जाए।

केंद्र ने इस उद्देश्य के लिए ‘एसडीआरएफ’ का इस्तेमाल करने के लिए कल आदेश जारी किए थे। इस मद में राज्यों के पास पर्याप्त धनराशि उपलब्ध है। राज्यों से यह भी कहा गया है कि वे लॉकडाउन की अवधि के दौरान बिना किसी कटौती के श्रमिकों के कार्यस्थल पर उनके पारिश्रमिक या वेतन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करें।

इस अवधि के लिए श्रमिकों से घर का किराया या हाउस रेंट देने की मांग नहीं की जानी चाहिए। उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए जो मजदूरों या विद्यार्थियों को परिसर (कमरा या घर) खाली करने के लिए कह रहे हैं।

जिन लोगों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया है और लॉकडाउन की अवधि के दौरान यात्रा की है, उन्‍हें सरकारी क्‍वारंटाइन केंद्रों में न्यूनतम 14 दिन क्‍वारंटाइन में रखा जाएगा। क्‍वारंटाइन के दौरान इन व्यक्तियों की निगरानी करने के लिए राज्यों को विस्तृत निर्देश जारी किए गए हैं। सभी राज्‍यों को यह समझाया गया था कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए तीन सप्ताह तक सख्ती से अमल करना अत्‍यंत आवश्यक है। यह सभी के हित में है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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