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87 हजार लोगों ने कराया उत्तराखंड वापस आने के लिए पंजीकरण

  • मुख्यमंत्री ने कहा, राज्यों से समन्वय बनाकर बाहर फंसे उत्तराखंड के लोगों को वापस लाया जाए
  • राज्य से बाहर फंसे उत्तराखंड के लोगों को वापस राज्य में लाने की तैयारियों की समीक्षा की मुख्यमंत्री ने 
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य से बाहर फंसे उत्तराखंड के लोगों को वापस राज्य में लाने की तैयारियों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि संबंधित राज्यों से समन्वय बनाते हुए सुनियोजित तरीके से सारी व्यवस्था की जाएं। इसमें पूरी सावधानी के साथ व्यक्तिगत दूरी, मास्क, सैनेटाइजेशन आदि मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए, जिन लोगों को वापस लाया जाना है, कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत उनकी समुचित स्क्रीनिंग की जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुरूप ही सारी कार्यवाही हो। राज्य में आने पर यदि होम क्वारान्टाइन किया जाता है तो यह भी सुनिश्चित किया जाए कि होम क्वारान्टाइन का सख्ती से पालन हो। इसके लिए आवश्यक होने पर ग्राम प्रधानों को कुछ अधिकार दिए जा सकते हैं।
सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि अभी तक 87 हजार लोगों ने वापस आने के लिए अपना पंजीकरण कराया है। इनमें अधिकतर लोग पर्वतीय जिलों के हैं। बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल कुमार रतूड़ी, सचिव  अमित नेगी, नितेश झा, राधिका झा उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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