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PHOTO- बदरीनाथ धाम में बर्फबारी का नजारा

बदरीनाथ से नितिन सेमवाल की रिपोर्ट

सीमा सड़क संगठन ( बीआरओ) ने श्री बदरीनाथ धाम तक सड़क खोल दी है। इन दिनों श्री बद्रीशपुरी बर्फ से लकदक है। अलकनंदा नदी का बहाव भी हिमांक से नीचे होने के कारण जमा हुआ है, जिससे अलकनंदा नदी का जलस्तर घटा हुआ है। सबसे अधिक बर्फीले ग्लेशियर कंचनजंगा से बदरीनाथ पुरी तक और रणांग बैंड पर है। बदरीनाथ हाईवे के दोनों ओर बहने वाले नाले जमे हुए हैं। शाम को यहां का तापमान माइनस 2 से माइनस 10 ड़िग्री सेल्सियस तक चला जाता है। श्री बदरीनाथ धाम के कपाट छह मई को खुलेंगे।

मंदिर का पहुँच मार्ग बर्फ से ढका हुआ

सीमा सड़क संगठन ने रोड खोल दी है।

आजकल बर्फ से ढकी मुख्य सड़क

 

श्री बद्रीनाथ एवं नीलकंठ के बीच का दृश्य

 

बद्रीश वैली – एक प्रमुख चारधाम
बामणी गाँव का बर्फ से लकदक नजारा

 

वर्तमान में श्री बद्रीनाथ जी का मंदिर

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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