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त्वचा में प्रोटीन की कमी से होता है एक्जिमा ! 

  • वैज्ञानिकों ने एक शोध में किया दावा

लंदन 


त्वचा में एक खास प्रोटीन की कमी के कारण एक्जिमा होता है। एटोपिक एक्सिमा (चकते वाली खुजली) त्वचा की एक आम स्थिति है और अक्सर यह बच्चों में उनके जीवन के पहले साल में पाई जाती है। यह उनके वयस्क होने पर भी बनी रहती है। इसके गंभीर प्रभाव के रूप में स्वास्थ्य और नींद संबंधी विकार सामने आते हैं। वैज्ञानिकों ने हाल ही में किए एक शोध में यह दावा किया है। शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि प्रोटीन फिलाग्रीन के प्रभाव से त्वचा के दूसरे प्रोटीनों और कार्यप्रणाली पर असर पड़ता है, नतीजतन एक्जिमा हो जाता है।

इंग्लैंड के न्यूकैसल विश्वविद्यालय के चर्म रोग के प्रोफेसर निक रेनॉल्डस ने कहा कि हमें पहली बार पता चला है कि फिलाग्रीन प्रोटीन की क्षति के कारण दूसरे प्रोटीन भी प्रभावित होते हैं, जो अंतत एक्जिमा को जन्म देता है। उन्होंने कहा, ”इस अध्ययन से फिलाग्रीन प्रोटीन की कमी के महत्व का पता चलता है, जिससे त्वचा के कार्यों में बाधा आ सकती है और कोई एक्जिमा से पीड़ित हो सकता है।” इस शोध का प्रकाशन ‘एलर्जी एंड क्लीनिकल इम्यूनोलॉजी’ में किया गया। इस दल ने एक मानव प्रारूप प्रणाली विकसित की है। इस प्रारूप से शोधकर्ता प्रोटीन और संकेत के रास्तों को जान सकेंगे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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