उत्तराखंडः कोविड के मामले बढ़े, मतदान तक प्रचार वर्चुअल होने के आसार
रैलियों और सभाओं पर प्रतिबंध की तारीख आगे बढ़ने का अनुमान, वर्चुअल प्रचार की पुख्ता तैयारियों में जुटे दल व दावेदार
देहरादून। पूरे देश में विशेष रूप से उत्तराखंड, पंजाब और गोवा के चुनावी राज्यों में, जहां 14 फरवरी को मतदान होना है, कोविड 19 मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। राजनीतिक दलों और निर्दलीय चुनाव लड़ने के इच्छुक लोग साइबर स्पेस में अपनी चुनावी लड़ाई को अंजाम दे रहे हैं। सोशल मीडिया अभियानों के माध्यम से मतदाताओं तक पहुंचने के लिए राजनीतिक दलों के बीच एक दौड़ शुरू हो गई है, क्योंकि उनका अनुमान है कोविड -19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए चुनाव आयोग रैलियों, सभाओं के जरिये प्रचार की छूट नहीं देगा।
राजनीतिक दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया अभियानों (Social Media Campaign) को नया आकार देना शुरू कर दिया है। मतदाताओं तक पहुंचने के लिए पार्टियां पहले ही वर्चुअल मोड में आ गई हैं। भाजपा नेता एवं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, जो कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रचारक हैं, भी वर्चुअल रैलियों को संबोधित कर रहे हैं।
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर के पांच राज्यों में चुनावों की घोषणा के समय कोविड -19 के बढ़ते मामले ध्यान में रखते हुए किसी भी चुनावी सभा या रैली या पांच से अधिक व्यक्तियों के इकट्ठा होने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस प्रतिबंध को आगे बढ़ाए जाने की संभावना जताई जा रही है।
उत्तराखंड, पंजाब और गोवा में चुनाव प्रचार के लिए एक महीने से भी कम समय बचा है, जहां 14 फरवरी को मतदान होना है, प्रत्येक बीतते दिन के साथ कोविड -19 रोगियों की संख्या कई गुना बढ़ रही है। संभावना है कि चुनाव आयोग जमीनी हकीकत का संज्ञान लेते हुए अगले पखवाड़े में भी चुनावी रैलियों या सभाओं की इजाजत नहीं देगा। हालांकि चुनाव आयोग ने अभी तक इस मामले पर फैसला नहीं लिया है, लेकिन राजनीतिक दल और उम्मीदवार असमंजस में हैं।
उत्तराखंड में कोविड-19 के एक्टिव मामलों (COVID-19 Active Case in Uttarakhand) में बढ़ोतरी देखी गई है। यहां सात जनवरी को 814 मामले सामने आए थे, जबकि 13 जनवरी को राज्य में 3005 पॉजिटिव मामले मिले थे। राज्य में 7 जनवरी को एक्टिव केस की संख्या 2022 थी, वहीं 13 जनवरी तक 9936 दर्ज की गई।
कुल मिलाकर राज्य में एक सप्ताह में कोविड केसों की संख्या चार गुना से अधिक गई। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मणिपुर और गोवा में कोविड-19 के केसों में वृद्धि दर्ज हो रही है। यूपी में 13 जनवरी तक 71,022 एक्टिव मामले थे। 13 जनवरी को यूपी में 13667 नये मरीज मिले। वहीं पंजाब में 13 जनवरी को 3603 नये रोगियों सहित 30,384 एक्टिव मामले थे। गोवा में 13 जनवरी तक 2753 नये मरीजों के साथ कुल एक्टिव केसों की संख्या 16,887 दर्ज की गई। कोविड मामलों का अपडेट यहां देखें।
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जिन राजनीतिक दलों के अपने आईटी सेल थे, वे अब अपने चुनाव अभियानों में अधिक पेशेवरों को नियुक्त कर रहे हैं। इन चुनावी राज्यों में आईटी पेशेवरों की काफी मांग है। राजनीतिक नेता और पार्टियां ऐसे पेशेवरों की तलाश में हैं, जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपने चुनाव अभियान चला सकें।
अधिकतर नेताओं के अपने फेसबुक पेज और व्हाट्सएप पर समर्थकों का समर्पित समूह है, लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में, जब जनता के बीच जाकर चुनाव प्रचार करना संभव नहीं है, वहां आईटी पेशेवरों की मदद ली जा रही है, “टेकयार्ड” कंपनी के मालिक और आईटी प्रोफेशनल चंद्रकांत (IT Professional Chandrakant) कहते हैं।”
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उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में जहां भौगोलिक परिस्थितियों की वजह से उम्मीदवारों के लिए मतदाताओं तक पहुंच आसान नहीं है, वहां सोशल मीडिया का इस्तेमाल पहले से हो रहा है, लेकिन कई इलाकों में इंटरनेट नेटवर्क की कमी से वर्चुअल संवाद नहीं हो पाता।
चंद्रकांत बताते हैं,”राजनीतिक दल और उम्मीदवार अपने स्वयं के एसएमएस, व्हाट्सएप ग्रुप और यू ट्यूब अभियान चलाने के लिए पेशेवरों की सेवाएं ले रहे हैं। यहां तक कि कई उम्मीदवार और पार्टियां ने 30 सेकेंड के फोन संदेशों के लिए आउट बाउंड कॉलिंग (ओबीडी) अभियान चला रहे हैं।”
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उत्तराखंड कांग्रेस के साथ-साथ सत्तारूढ़ भाजपा के पास अपने साइबर अभियान चलाने के लिए अपनी व्यवस्थाएं हैं। न्यूज पोर्टल द नार्दर्न गैजेट की एक रिपोर्ट में उत्तराखंड कांग्रेस आईटी सेल के प्रभारी अमरजीत सिंह के हवाले से कहा गया है, हमारे पास 20 आईटी प्रोफेशनल्स की एक समर्पित टीम है और इसी तरह के टीमें जिलों में हैं। हमारा कार्य वर्चुअल मीटिंग, वेबिनार और यू ट्यूब संदेशों को आगे बढ़ाना है। यदि बड़ी रैलियों की अनुमति नहीं मिलती है, तो हम सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित अपने वरिष्ठ नेताओं की वर्चुअल रैलियां करने के लिए तैयार हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत पहले से ही फेसबुक लाइव कार्यक्रमों के माध्यम से सोशल मीडिया पर निर्वाचन क्षेत्रों को संबोधित कर चुके हैं। उत्तराखंड में 35 लाख फेसबुक यूजर्स हैं।
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वहीं, राजनीतिक दल, जिनके पास पहले से ही सोशल मीडिया में बढ़त है, खासकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में सत्तारूढ़ बीजेपी अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बेहतर स्थिति में है। उत्तराखंड के वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत का कहना है, “भाजपा ने डिजीटल कैंपेनिंग में बढ़त बनाई है। “पन्ना प्रमुख (मतदाता सूची पृष्ठों के प्रभारी) के पास अपने सभी मतदाताओं के सोशल मीडिया संपर्क हैं।”
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उधर, शिरोमणि अकाली दल ने चुनाव आयोग से पंजाब में चुनावी रैलियों और नुक्कड़ सभाओं में प्रतिबंध के आदेश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है। चुनाव आयोग को लिखे पत्र में अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा ने कहा कि चुनाव आयोग ने 15 जनवरी तक सभी चुनावी रैलियों, पदयात्राओं, कॉर्नर मीटिंग आदि पर प्रतिबंध लगा दिया है, जिससे सभी पार्टियों के उम्मीदवार को परेशानी हो रही है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा क्षेत्र के सभी मतदाताओं को डिजिटल मोड में कवर करना संभव नहीं है, क्योंकि राज्य में कई पिछड़े क्षेत्र हैं, जहां इंटरनेट नेटवर्क ठीक से काम नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि हम मानते हैं कि बड़ी रैलियों पर रोक लग सकती है लेकिन छोटी सभाएं जरूरी हैं। उन्होंने आयोग से कॉर्नर बैठकों पर पूर्ण प्रतिबंध के फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दलों को कोविड सावधानी के साथ छोटी-छोटी सभा करने की अनुमति दी जाए, ताकि उम्मीदवार मतदाताओं से संवाद कर सकें।