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सलामः दरभंगा बस्ती की इन बेटियों ने तो कमाल कर दिया

  • करीब डेढ़ सौ परिवारों के पास घर-घर पहुंचाया खाने का सामान
  • लॉकडाउन में रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे परिवारों को मदद पहुंचाई
  • नियोविजन संस्था के गजेंद्र रमोला ने इनको उपलब्ध कराया है राशन
  • सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए लोगों को दी जा रही खाद्य सामग्री
देहरादून। कोरोना वायरस संक्रमण के चलते घरों से बाहर नहीं निकल पाने की वजह से दरभंगा बस्ती के कई परिवारों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया। ये परिवार रोज कमाने और खाने पर निर्भर हैं। इसी बस्ती में रहने वाली करीब 20 साल की मीना पासवान, गुंजा पासवान औऱ उनके साथियों ने किसी पर निर्भर हुए बिना खुद ही खाद्य सामग्री घर घर तक पहुंचाने का जिम्मा उठा लिया, वो भी सरकार के सभी निर्देशों को ध्यान में रखते हुए।

बताती हैं कि नियो विजन संस्था के संस्थापक सॉफ्टवेयर इंजीनियर गजेंद्र रमोला ने हमें राशन उपलब्ध कराया है, जिसके पैकेट बनाकर हम घरों में वितरित कर रहे हैं। यदि कोई हमारे से खाद्य सामग्री लेकर जाना चाहता है तो हमने हर परिवार को समय दिया है कि  वो कब आए। परिवार को कोई भी एक सदस्य अपने समय के अनुसार आकर हम से राशन ले जा सकता है, क्योंकि इससे हमारे पास भीड़ नहीं लगेगी।

गुंजा बताती हैं कि हमने सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा। लोगों को भीड़ से बचने के लिए कहा जा रहा है। घर पर जाकर भी लोगों को दरवाजे से बाहर ही राशन दिया। अभी तक लगभग डेढ़ सौ परिवारों तक खाने का सामान पहुंचाया है। इनमें अधिकतर परिवार दिहाड़ी मजदूरी, घरों में कार्य करने, कचरा इकट्ठा करने से होने वाली आमदनी पर निर्भर करते हैं। कुछ लोग विकलांग भी हैं। नियोविजन के रोहन, चंदन, अभिषेक, राकेश भी पूरी सजगता से सहयोग कर रहे हैं।

नियोविजन संस्था के संस्थापक रमोला बताते हैं कि हमारा उद्देश्य है कि संकट की इस घड़ी में कोई भी परिवार भूख से पीड़ित न हो। हमें सरकार के हर आदेश का पालन करना है। हम लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने, स्वच्छता बनाए रखने, हाथों को बार-बार साबुन से धोने, एक दूसरे से दूरी बनाने आदि सावधानियों को लेकर जागरूक कर रहे हैं।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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