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उत्तराखंड ने नेशनल गेम्स की थीम “ग्रीन गेम्स” को धरातल पर उतारा

महिला स्वास्थ्य, लोक संस्कृति, पर्यटन, रोमांच से जुडे़ अन्य संदेश भी देशभर में चर्चा में

देहरादून। 04 फरवरी, 2025

राष्ट्रीय खेलों में ग्रीन गेम्स की थीम को धरातल पर उतारने के लिए उत्तराखंड के प्रयास सबसे खास हैं, जिनकी तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कर चुके हैं। महिला स्वास्थ्य, लोक संस्कृति, पर्यटन, रोमांच से जुडे़ अन्य संदेश भी देशभर में चर्चा में हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों के दौरान उत्तराखंड ने कई ऐसी पहल की हैं, जिनके माध्यम से पूरे देश में प्रभावी संदेश जा रहा है। विशेष रूप से ग्रीन गेम्स की थीम को अमल में लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। उत्तराखंड की पहल के साथ देशभर से आए खिलाड़ी व मेहमान जुड़ रहे हैं, ये बेहद हर्ष का विषय है।

राष्ट्रीय खेलों में हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाले राज्य पक्षी मोनाल को शुभंकर बनाकर उत्तराखंड ने हरित पहल की है।

खेलों में जीतने वाले खिलाड़ियों के लिए पदक ई-वेस्ट से तैयार कराए गए हैं। साथ ही, पदक जीतने वाले विजेताओं के नाम से ‘खेल वन’ की स्थापना की जा रही है। इसके लिए 2.77 हेक्टेयर जमीन को इन दिनों तैयार किया जा रहा है, जहां पर रुद्राक्ष के 1600 पौधे रोपे जाएंगे।

खेलों से जुडे़ आमंत्रण पत्र वेस्ट मटेरियल से तैयार कराए गए हैं, जबकि खेल स्थलों पर एक जगह से दूसरी जगह पर जाने के लिए ई-रिक्शा उपलब्ध कराए गए हैं।

सोलर पैनल के प्रयोग से लेकर पानी के लिए रीयूसबल वाटर बाॅटल की व्यवस्था है।

आयोजन स्थल में कई जगहों पर वेस्ट मटेरियल से स्पोर्ट्स के प्रतीक चिन्ह तैयार किए गए हैं। इनमें दौड़ता हुआ खिलाड़ी और मोनाल पक्षी प्रमुख हैं। ई-वेस्ट से बनाए गए टाइगर भी आकर्षण का केंद्र है।

राष्ट्रीय खेलों के आयोजन स्थलों पर साइकिल उपलब्ध कराकर एक नहीं दो-दो संदेश दिए गए हैं। पहला संदेश पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण का है, तो दूसरे संदेश में फिट रहने की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय खेलों के उद्घाटन के मौके पर लोगों से फिटनेस पर ध्यान देने का आह्वान किया था।

राष्ट्रीय खेलों में भाग लेने वाली महिला खिलाड़ियों को वेलकम किट में सेनेटरी पैड व अन्य सामान देकर भी उत्तराखंड ने महिला स्वास्थ्य का संदेश देने का प्रयास किया है। योग व मलखंब जैसे पारंपरिक खेल भी मेडल टेली में शामिल हैं। इससे पहले, गोवा में हुए राष्ट्रीय खेलों में ऐसा नहीं था। उत्तराखंड ने इन दो खेलों को राष्ट्रीय खेलों में शामिल कराने के लिए ठोस पैरवी की थी।

उत्तराखंड ने राष्ट्रीय खेलों को बडे़ शहरों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि टिहरी, अल्मोड़ा जैसे पर्वतीय शहरों तक भी पहुंचाया है। खाने से लेकर तमाम कलाकृतियों में लोक संस्कृति की झलक दिख रही है। खाने में झंगोरा, गहत की दाल व अन्य व्यंजन परोसे जा रहे हैं। वहीं पर्वतीय कला ऐपण के दर्शन पोस्टर, बैनरों से लेकर सभी जगहों पर हो रहे हैं।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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