Creativity
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नींव अनाम है सदा
उमेश राय श्रम और प्रेम के बिना, जीवन की अर्थवत्ता नहीं… पर,मूल व मौलिक रहता है आधार, भले ही दिखता…
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खुद की ओर:बुद्ध
उमेश राय धरती का प्रकाश-निधि, अंधेरे में अभय खड़ा सर्जक! जब सारे धर्म आवाज देते हैं, आस्था व विश्वास को…
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पृथ्वी की कैसी छवि
उमेश राय धरा का धैर्य चुक गया है, अनाचार असीम जो हो गया है यहाँ… भोगवादी जीवन ने सारे वन-मधुवन…
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समय के रोते-खोते पल-पलक
उमेश राय आजकल अश्रु से तरबतर है धरती, आसमान भी बेबस है, रूदन का ताप-परिताप लिए … हर संवेदित हृदय,…
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लड़की का लौटना
उमेश राय शादी के बाद, जब भी लड़की लौटती है, अपने माता-पिता वाले घर…. वह चहकती-फुदकती है, जैसे – चिड़िया…
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निहारना
उमेश राय एकटक निहारना उसे, हारना कहाँ? बल्कि यहाँ कितना आनंद उमगता है, उर में, सुर में, अंत:पुर में दृश्य…
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अभिराम राम
उमेश राय हो निराशा जब प्रबल,तम में घिरा तमाम। चेतना के परिष्करण, तब याद आए राम ।। हर दिशाएं, सहमी-सहमी,…
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तितली ! सभी शूलों को फूल होने दो…
उमेश राय तितली ! सभी शूलों को फूल होने दो…. परिवर्तन सतही नहीं,आमूल-चूल होने दो. सीखने दो बच्चों को सहज-…
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शहादत
उमेश राय शहादत, शहद नहीं है, आदत भी नहीं .. यह प्रेम की उच्चतम – परम दशा है, आत्मोत्सर्ग की…
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खोजता हूँ
उमेश राय अपने कमरे में उसे खोजता हूँ, खो जाता हूँ… पुनर्खोज क्या है? भूल को फूल की तरह पा…
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आनंदिता का इमेजिनेशनः लगता है ये कागज अभी बोल उठेगा
आपके आसपास काफी सारे कागज यूं ही बिखरे पड़े होते हैं। पेपर शीट को यूं ही इधर-उधर मत फेंके। क्या…
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बंटी हुई औरतों के बीच आज़ाद औरतें ???
कुछ औरतें छोटे छोटे राज्यों में विभक्त हो गई हैं जिनमे राज करते हैं कुछ निरंकुश औरतों के भीतर…
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मां तुझे हम अभी बूढ़ा नहीं होने देंगे…
मातृ दिवस आज मुनव्वर राणा चलती फिरती आंखों से अजान देखी है, मैंने जन्नत तो नहीं देखी है, मां देखी…
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चाहना नदी का….
चाहना नदी की…. मैं नदी को देख रही थी मैंने देखा- नदी भी देख रही थी मुझे, बहने के…
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तो ‘निर्’ भय से कह मैं तेरी हूँ,
‘अ’ज्ञान बनादे मुझको तेरा, ज्ञान है मुझको मेरी हूँ तो ‘निर्’ भय से कह मैं तेरी हूँ, और ‘अ’ भय…
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