ऋषिकेश। सर्दियों के मौसम में गठिया का दर्द परेशान कर सकता है। अनियमित जीवन शैली और धूम्रपान की आदतों की वजह से गठिया रोग की शिकायतें बढ़ रही हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार इसे जड़ से समाप्त तो नहीं किया जा सकता, लेकिन इलाज की विशेष पद्धति के माध्यम से इसे नियंत्रित जरूर किया जा सकता है।
रोग मुक्त रहने के लिए स्वस्थ जीवन शैली और संतुलित आहार का पालन करना बहुत महत्वपूर्ण होता है। सर्दियों में ठंड बढ़ने पर गठिया संबंधी शिकायतों की संख्या बढ़ जाती है। हाथ-पैरों के जोड़ों में दर्द रहना, सूजन आना और सुबह-सुबह शरीर में अकड़न महसूस करना इसके प्रमुख लक्षणों में हैं।
एम्स के जनरल मेडिसिन विभाग के रूमेटोलाॅजिस्ट व एडिशनल प्रोफेसर डाॅ. वेंकटेश पाई ने बताया कि गठिया रोगों को पूरी तरह रोका नहीं जा सकता है। धूम्रपान करने वाला व्यक्ति इससे सर्वाधिक प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि गठिया पर पूरी तरह से नियंत्रण पाने के लिए लंबे समय तक नियमित उपचार की आवश्यकता होती है। मीठे पेय पदार्थ, रेड मटन और शराब आदि से परहेज करके इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
परेशानियां और बचाव-
गठिया रोग से गुर्दे की विफलता, तंत्रिका क्षति, दिल का दौरा पड़ने और फेफड़ों की विफलता जैसी घातक जटिलताएं हो सकती हैं। इसके अलावा रोगी के जोड़ों में विकृति का विकसित होना भी इसमें शामिल है। शीघ्र उपचार शुरू करके इन्हें रोका जा सकता है।
गठिया के प्रमुख कारण और मिथक-
ढलती उम्र, आनुवांशिकी, जोड़ों की चोटें, ऑटोइम्यून विकार और संक्रमण इसके कारणों में शामिल हैं। यह एक आम मिथक है कि गठिया केवल बुजुर्गों को प्रभावित करता है। जबकि यह सच यह है कि गठिया रोग बच्चों सहित किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकता है। 16 वर्ष की आयु से पहले होने वाला गठिया ’जुवेनाइल आर्थराइटिस’ कहलाता है।
क्या करें-
गठिया के लक्षण नजर आने पर शीघ्र रुमेटोलॉजिस्ट चिकित्सक से सलाह लेकर इलाज शुरू कराएं। सफल उपचार के लिए शीघ्र निदान, नियमित दवा का सेवन और समय पर डॉक्टर से सलाह लेना अति आवश्यक है। दवाओं के अलावा, सावधानियां और जीवनशैली में बदलाव लाना भी जरूरी है।
क्या न करें-
गठिया के लक्षणों से राहत पाने में कुछ सप्ताह का समय लग सकता है और उपचार संबन्धी गाइड लाइन का पालन करना महत्वपूर्ण है। डाॅक्टर की सलाह के बिना दवा का सेवन बंद नहीं करें। शराब और धुम्रपान कतई नहीं करें।
सप्ताह में तीन दिन है ओपीडी-
एम्स में प्रत्येक मंगलवार, गुरुवार और शनिवार को गठिया रोग की ओपीडी संचालित होती है। अस्पताल के जनरल मेडिसिन विभाग के अंतर्गत संचालित इस ओपीडी में सुबह 11.30 बजे तक पंजीकरण कराया जा सकता है, लेकिन ओपीडी में आने से पूर्व अपाॅइंटमेन्ट लेना जरूरी है। इसके लिए विभाग द्वारा 72170 14335 नम्बर जारी किया गया है। इस नम्बर पर दैनिक तौर से दोपहर 12 बजे से अपराह्न 3 बजे तक संपर्क किया जा सकता है।
आयुर्वेद में भी है इलाज
एम्स के आयुष विभाग के डाॅ. राहुल काटकर के अनुसार गठिया रोग वात दोष के कारण होता है। स्थानिक पंचकर्मा चिकित्सा की जानूबस्ती, कटिबस्ती, बालूका श्वेद, उपनाह श्वेद और पत्रपिण्ड श्वेद पद्धति से किया जाने वाला उपचार इसमें लाभ देता है।
योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा विभाग की डाॅ. श्वेता मिश्रा ने बताया कि योग के सूक्ष्म व्यायाम, जल चिकित्सा, जोड़ों में बालू व नमक की पोटली बांधकर सिकाई करने और राई के पाउडर और चावल को मिलाकर जोड़ों पर 10-15 मिनट तक रखने से इसमें लाभ होता है। यह सभी सुविधाएं एम्स के आयुष विभाग में उपलब्ध हैं।
’’गठिया के मरीजों में से अधिकांश को आजीवन दवा लेनी पड़ती है। सही निदान, सही इलाज और सही जीवनशैली गठिया रोगों के इलाज में काफी मददगार साबित होती है। एम्स ऋषिकेश के जनरल मेडिसिन विभाग में एक विशेष गठिया क्लीनिक संचालित किया जा रहा है। यहां आवश्यक जांचों के अलावा इस बीमारी से ग्रसित गंभीर किस्म के रोगियों को भर्ती करने की सुविधा भी उपलब्ध है। गठिया रोगियों को चाहिए कि एम्स की स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाएं और निरोगी रहें।’’
प्रो. मीनू सिंह, निदेशक, एम्स ऋषिकेश