ऋषिकेश। 13 जनवरी, 2025
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM- Ayushman Bharat Digital Mission) के तहत आभा क्यू आर कोड (QR code for ABHA) आधारित स्कैन एंड शेयर सुविधा रोगियों के लिए लाभकारी सिद्ध हो रही है।
एम्स ऋषिकेश में पिछले दो वर्षों में 3 लाख 2 हजार से अधिक रोगियों ने इस सुविधा का लाभ उठाया है। इस सुविधा से लोगों को अब अपना ओपीडी पर्चा बनवाने के लिए अब कई घंटे लाइन में खड़ा नहीं होना पड़ता है।
एम्स ऋषिकेश में आयुष्मान भारत हेल्थ एकाउंट (ABHA) के क्यूआर कोड आधारित काउंटर सुविधा 26 नवम्बर 2022 में शुरू हुई थी। उत्तराखंड में एम्स ऋषिकेश पहला सरकारी स्वास्थ्य संस्थान है, जहां मरीजों के पंजीकरण के लिए यह डिजिटाइलेशन व्यवस्था सबसे पहले अमल मे लाई गई थी।
आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत केवल इलाज कराने वाले रोगियों की आभा आईडी ही नहीं बनाई जाती है, बल्कि अस्पताल के हेल्थ प्रोफेशनल चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ को भी इस योजना से जोड़ा गया है। विभागीय जानकारी के अनुसार, अभी तक दो हजार 279 हेल्थ प्रोफेशनलों का इसमें पंजीकरण किया जा चुका है। संस्थान ने 3 लाख 65 हजार मरीजों का हेल्थ रेकॉर्ड्स डिजिटल लिंक्ड भी कर दिया है। संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर डॉ. मीनू सिंह ने इस उपलब्धि के लिए संस्थान की एबीडीएम (आभा) टीम की प्रशंसा की।
यह हैं आभा के फायदे
एम्स में आभा योजना के नोडल ऑफिसर व अस्पताल के उप चिकित्सा अधीक्षक डॉ. भरत भूषण भारद्वाज ने जानकारी दी कि आभा एप के माध्यम से कोई भी व्यक्ति किसी भी अस्पताल में क्यूआर कोड स्कैन करके अपना पर्चा बनवा सकता है।
इसके साथ ही, अपने सभी प्रकार के हेल्थ रिकॉर्ड अपने मोबाइल में आभा एप के माध्यम से देखे जा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि आभा एबीडीएम योजना पूरी तरह से लागू होने के बाद मरीज को अपने स्वास्थ्य दस्तावेजों को साथ में ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
आभा एप के माध्यम से चिकित्सक उनके स्वास्थ्य दस्तावेजों का अवलोकन कर सकेंगे।
डॉ. भरत ने बताया कि एबीडीएम योजना के अगले चरण में क्यूआर कोड के माध्यम से बिल पेमेंट करने की सुविधा भी प्रस्ताावित है।
यह है व्यवस्था
इलाज के लिए आने वाले मरीजों को एम्स के प्रवेश गेट नम्बर- 3 तथा ओपीडी एरिया में प्रदर्शित क्यूआर कोड के माध्यम से मोबाइल से आभा एप डाउनलोड करना होता है।
योजना के समन्वयक कमल जुयाल ने बताया कि एप डाउनलोड करने के बाद मोबाइल कैमरे द्वारा पंजीकरण काउंटर क्षेत्र में प्रदर्शित क्यूआर कोड को स्कैन करने पर उनके मोबाइल एप पर ओपीडी का पंजीकरण नम्बर आता है। इसे टोकन नंबर कहते हैं।
टोकन नंबर को दिखाकर ओपीडी खिड़की में मौजूद स्टाफ से अपना पंजीकरण पर्चा बनवाया जा सकता है। इस प्रक्रिया में संस्थान के सेवावीरों की टीम विशेष मदद करती है।