agricultureFeatured

भारत दुनिया में ककड़ी और खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक

खीरे की एक फसल में प्रति एकड़ औसतन 40 हजार की शुद्ध आय

नई दिल्ली। भारत दुनिया में खीरे का सबसे बड़ा निर्यातक बनकर उभरा है। विश्व में खीरे की कुल आवश्यकता का लगभग 15% उत्पादन भारत में होता है। भारत से वर्तमान में 20 से अधिक देशों को खीरा निर्यात किया जाता है, इनमें प्रमुख रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोपीय देश और महासागरीय देश- जैसे संयुक्त राज्य अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, दक्षिण कोरिया, कनाडा, जापान, बेल्जियम, रूस, चीन, श्रीलंका और इजराइल हैं।

वर्ष 2020-21 में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 114 मिलियन अमरीकी डालर मूल्य के ककड़ी और खीरे का निर्यात किया गया। खीरे को अचार बनाने के तौर पर वैश्विक स्तर पर गेरकिंस या कॉर्निचन्स के रूप में जाना जाता है। 2020-21 में, भारत ने 223 मिलियन अमरीकी डालर के मूल्य के ककड़ी और खीरे का निर्यात किया था।

हर फसल में प्रति एकड़ औसतन चार मीट्रिक टन खीरा उत्पादन होता है। किसान को 40 हजार रुपये की शुद्ध आय के साथ लगभग 80 हजार रुपये कमाता है। खीरे में 90 दिन की फसल होती है और किसान वार्षिक रूप से दो फसल लेते हैं। वहीं देशभर में विदेशी खरीदारों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों के प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किए गए हैं।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने बुनियादी ढांचे के विकास, वैश्विक बाजार में उत्पाद को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के पालन में कई पहल की हैं।

खीरे को दो श्रेणियों ककड़ी और खीरे के तहत निर्यात किया जाता है, जिन्हें सिरका या एसिटिक एसिड के माध्यम से तैयार और संरक्षित किया जाता है, ककड़ी और खीरे को अनंतिम रूप से संरक्षित किया जाता है।

खीरे की खेती, प्रसंस्करण और निर्यात की शुरुआत भारत में 1990 के दशक में कर्नाटक में एक छोटे से स्तर के साथ हुई थी और बाद में इसका शुभारंभ पड़ोसी राज्यों तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भी हुआ। विश्व की खीरा आवश्यकता का लगभग 15 फीसदी उत्पादन भारत में होता है।

अपनी निर्यात क्षमता के अलावा, खीरा उद्योग ग्रामीण रोजगार के सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में, अनुबंध खेती के तहत लगभग 90,000 छोटे और सीमांत किसानों द्वारा 65,000 एकड़ के वार्षिक उत्पादन क्षेत्र के साथ खीरे की खेती की जाती है।

प्रसंस्कृत खीरे को औद्योगिक कच्चे माल के रूप में और खाने के लिए तैयार करके थोक में निर्यात किया जाता है। थोक उत्पादन के मामले में एक उच्च प्रतिशत का अभी भी खीरा बाजार पर कब्जा है। भारत में ड्रम और रेडी-टू-ईट उपभोक्ता पैक में खीरा का उत्पादन और निर्यात करने वाली लगभग 51 प्रमुख कंपनियां हैं।

एपीडा ने प्रसंस्कृत सब्जियों के निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह बुनियादी ढांचे के विकास और संसाधित खीरे की गुणवत्ता बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय बाजार में उत्पादों को बढ़ावा देने और प्रसंस्करण इकाइयों में खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियों के कार्यान्वयन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है।

सभी खीरा उत्पादन और निर्यात कंपनियां या तो आईएसओ, बीआरसी, आईएफएस, एफएसएससी 22000 प्रमाणित और एचएसीसीपी प्रमाणित हैं या सभी प्रमाणपत्र रखती हैं। कई कंपनियों ने सोशल ऑडिट को अपनाया है। यह सुनिश्चित करता है कि कर्मचारियों को सभी वैधानिक लाभ दिए जाएं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button