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मानवभारती स्कूल में छात्रों का रोजाना अ़ॉनलाइन टेस्ट 

  • इंट स्केल ने मानव भारती स्कूल में यूनिवर्सिटी अ़़ॉफ कैलिफाेर्निया बर्कले के प्रोजेक्ट की लैब लगाई 
  • मानवभारती स्कूल बना छात्र की परफार्मेन्स का डिजीटल ट्रैक रिकार्ड बनाने वाला उत्तराखंड का पहला स्कूल 

 देहरादून


मानव भारती इंडिया इंटरनेशनल स्कूल  उत्तराखंड का पहला स्कूल बन गया है, जहां छात्रों की रोजाना की परफार्मेन्स डिजीटली रिकार्ड हो रही है। स्कूल ने छात्रों को विषयवार अॉनलाइन टेस्ट देने की सुविधा उपलब्ध करा दी है। रिजल्ट के अनुसार छात्र की परफार्मेन्स का ट्रैक रिकार्ड कभी भी और कहीं से भी चेक किया जा सकेगा। यहीं नहीं शिक्षक रिजल्ट के डिजीटली रिकार्ड का विश्लेषण करके यह भी पता लगाएंगे कि छात्र किस विषय और विषय के किस पार्ट में पहले से बेहतर कर रहे हैं या नहीं। इसके आधार पर छात्रों को पढ़ाने और समझाने की रणनीति पर फोकस किया जा सकेगा।
भारत में रिसर्च के लिए अमेरिका की यूनिवर्सिटी अ़़ॉफ कैलिफाेर्निया बर्कले से अधिकृत कंपनी इंट स्केल ने मानवभारती स्कूल को आनलाइन प्लेटफार्म उपलब्ध कराया है। छात्रों और शिक्षकों ने इस नई व्यवस्था का उत्साह के साथ स्वागत किया है। पहले दिन 25 छात्रों ने यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफाेर्निया बर्कले के प्रतिनिधि की देखरेख में  आनलाइन टेस्ट दिया। इंट स्केल के प्रतिनिधि मयंक भंडारी ने छात्रों और शिक्षकों को इस डिजीटली प्लेटफार्म के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में दुनिया के कई विख्यात स्कूलों में संचालित की जा रही है। इसने छात्रों ही नहीं शिक्षकों की परफार्मेन्स को भी ट्रैक किया है। छात्रों के रिजल्ट के ट्रैक  रिकार्ड का आकलन करने और उस पर शिक्षा की रणनीति तय करने में इस अाधुनिक आनलाइन टेस्ट ने अहम भूमिका निभाई है। साथ ही छात्रों को डिजीटली टेस्ट देने का अनुभव भी हासिल हो रहा है।
इस आनलाइन प्लेटफार्म को तैयार करने का उद्देश्य छात्रों को प्रतिस्पर्धा के युग में निरंतर अभ्यास के माध्यम से तैयार करना है। टेस्ट के लिए छात्रों में अपने विषयों के बारीकी से अध्ययन करने की प्रवृत्ति का विकास होगा। यही प्रवृत्ति और अभ्यास उनके लिए किसी भी प्रतिस्पर्धा को आसान बनाएगा। इससे छात्रों को करियर बनाने में मदद मिलेगी। साथ ही शिक्षकों औऱ उनके अभिभावकों को भी अपने बच्चे की बौद्धिक क्षमता की हर टेस्ट के साथ अपडेट जानकारी मिल सकेगी, जो उनको प्रतिस्पर्धा के माहौल में तैयार करने में सहायक होगी। इस आन लाइन टेस्ट को विकसित करने में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफाेर्निया बर्कले के विशेषज्ञों की टीम की भूमिका है, जो छात्रों को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करने पर नित नये अनुसंधान में जुटी रहती है।
इंट स्केल के प्रतिनिधि मयंक भंडारी ने बताया कि विषयवार रिजल्ट के डिजीटली रिकार्ड से शिक्षकों को छात्रों की क्षमताओं को समझने में मदद मिलेगी। अगली क्लासों में जाने वाले इन छात्रों का एक या दो साल का विषयवार रिजल्ट समझकर शिक्षक उनकी विषय ही नहीं बल्कि चैप्टर तक पर समझ को जान सकेंगे।  साथ ही शिक्षकों काे अपने हर छात्र की विषयवार समझ की जानकारी एक क्लिक में उपलब्ध हो जाएगी। वहीं शिक्षक भी अपने छात्रों की शिक्षा को लेकर और ज्यादा जागरूकता से कार्य करेंगे।
क्या होंगे फायदे
  • टेस्ट में मल्टीपल च्वाइस के साथ लांग और शार्ट क्वेश्चन भी होंगे। छात्र अपनी इच्छा से भी सवालों का विकल्प तय कर सकेंगे। कंप्यूटर पर टेस्ट के लिए समय निर्धारित होगा। इससे छात्र जवाब देने के लिए समय का ध्यान रखेंगे, जो उनको भविष्य में होने वाली कंपीटिशन के लिए तैयार करेगा।
  • छात्रों के हर टेस्ट के अंकों का रिकार्ड तैयार होगा, जो पूरी तरह डिजीटल होगा, जो कहीं भी देखा जा सकेगा। छात्र भी अपनी परफार्मेन्स को चेक करते रहने के साथ खुद को परीक्षा के लिए तैयार कर सकेंगे।
  • क्लास आठ से शुरू इस टेस्ट का सबसे अधिक फायदा छात्रों को अगली कक्षाओं में विषयों औऱ स्ट्रीम चयन करने में भी मिलेगा। साथ ही उनको अपने मजबूत और कमजोर पक्षों की जानकारी हो सकेगी। यह टेस्ट छात्रों को कंपीटिशन और करियर बनाने तक गाइड करेगा।
  • यह टेस्ट छात्रों के मल्टीपल इंटेलीजेंस को मापने का माध्यम होगा, जिसकी मदद से अभिभावक और शिक्षक छात्र की स्ट्रेेंग्थ और वीकनेस को चेक कर सकेंगे। उदाहरण के लिए- छात्र की मैथ्स और साइंस में बेहतर परफार्मेन्स है और उसके रिजल्ट का वर्षभर का रिकार्ड उसके लॉजिकल इंटेलीजेंस को बेहतर दर्शाता है, तो इससे स्पष्ट हो जाएगा कि छात्र साइंस स्ट्रीम में अपना बेहतर से बेहतर रिजल्ट दे सकता है। इसी आधार पर उसको इंजीनियरिंग, मेडिकल या अन्य विकल्पों के लिए तैयार किया जा सकता है।इसी तरह छात्र की लैंग्वेज और उसकी म्यूजिकल समझ का आकलन भी हो सकेगा।
  • शिक्षक अपने विषय का एक चैप्टर पढ़ाने के बाद छात्रों का टेस्ट लेेंगे। रिजल्ट यह स्पष्ट कर देगा कि छात्र चैप्टर के किन प्वाइंट को समझ नहीं पाए हैं । शिक्षक यह आकलन करने के बाद उन प्वाइंट पर पुनः फोकस करेंगे, जिनको छात्र सही तरीके से नहीं समझ पाए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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