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Uttarakhand election: सिसोदिया ने जो दिखाया, क्या वो पहले कभी नहीं दिखा
उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव (Uttarakhand Election 2022) होने हैं। भाजपा और कांग्रेस के साथ उत्तराखंड की राजनीति में आम आदमी पार्टी (AAP) भी सक्रिय है। सभी दलों के बड़े नेता उत्तराखंड दौरे पर आ रहे हैं।
AAP नेता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) चार दौरे कर चुके हैं और हर बार एक बड़ा वादा करते हैं। उनके वादे और दावे कितने धरातल पर हैं, ये कैसे पूरे होंगे, बजट कहां से आएगा, इस पर खूब चर्चा हो रही है।
वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) ने भी खूब घोषणाएं की हैं और भाजपा दावा कर रही है कि उनकी घोषणाओं के लिए पर्याप्त बजट है, इसलिए इनमें से सभी पूरी होंगी। उनकी घोषणाओं को मुख्य विपक्षी कांग्रेस निशाने पर ले रही है। साथ ही, भाजपा अपनी सरकार के कार्यकाल में जनता के लिए किए गए कार्यों की जानकारी भी जोर-शोर से दे रही है।
अब बात करते हैं, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) की। उन्होंने भी कई घोषणाएं की हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस के सत्ता में आने सभी घोषणाओं को पूरा करेंगे। साथ ही, बजट प्रबंधन पर भी जानकारी देते हैं। अपने कार्यकाल में किए कार्यों को भी बता रहे हैं। रावत भाजपा सरकार की खामियां भी बताते हैं।
यह तो थी चुनावी समय में राजनीतिक दलों की घोषणाओं और जनता के बीच उनके चुनावी अभियान पर बात। अब बात करते हैं AAP नेता और दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) की। सिसोदिया उत्तराखंड दौरे पर हैं और उन्होंने हल्द्वानी में आयोजित सभा में राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर फोकस ही नहीं किया, बल्कि लाककुआं के एक विद्यालय भवन की स्थिति का उदाहरण भी दिया।
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पलेड की चढ़ाई ने मेरी सांसें फुला दीं, बच्चे तो 16 किमी. रोज चलते हैं
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हम शर्मिंदा हैंः इसलिए बच्चों के साथ बैग लेकर स्कूल तक आठ किमी. पैदल चले
दिल्ली में शिक्षा व्यवस्था में सुधार का श्रेय सिसोदिया को जाता है। इसलिए शिक्षा व्यवस्था पर उनको जरूर सुना जाना चाहिए।
अमर उजाला अखबार से जानते हैं, सिसोदिया ने अपने संबोधन में क्या कहा।
सिसोदिया कहते हैं, हल्द्वानी आने से पहले उन्होंने लालकुआं कस्बे में एक सरकारी स्कूल की दुर्दशा देखी। इसकी उन्होंने कल्पना तक नहीं की थी। वो बताते हैं, एक कमरा स्टाफ के लिए और बाहर टीन के छज्जे में कक्षाएं चलती हैं। इससे खराब स्कूल जिंदगी में नहीं देखा। इन क्लास रूम में उत्तराखंड के बच्चों का भविष्य बर्बाद किया जा रहा है। वो सवाल करते हैं, अगर केजरीवाल पांच साल में सरकारी स्कूलों को ठीक कर सकते हैं तो भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने ऐसा क्यों नहीं किया ?
उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस के लोग उत्तराखंड और उत्तराखंड के बच्चों के खिलाफ साजिश करते रहे हैं। उन्हें पता है बच्चे पढ़-लिख गए तो सवाल पूछेंगे। काम मांगेंगे।
अब आगे पढ़िए, उन्होंने क्या महत्वपूर्ण बात कही। सिसोदिया ने कहा कि 21 साल पहले पैदा हुए बच्चे को अगर यहां की सरकारों ने ठीक से पढ़ा ही दिया होता तो आज 21 साल का पढ़ा लिखा नौजवान उत्तराखंड का रोजगार चमका रहा होता और उत्तराखंड को चमका रहा होता।
सरकारी स्कूलों की यह हालत. उत्तराखंड के बच्चों के भविष्य को बर्बाद किए रखने की साज़िश है
इस साज़िश में कांग्रेस और बीजेपी दोनों शामिल है. अगर @ArvindKejriwal जी की सरकार में 5 साल में दिल्ली के सरकारी स्कूल चमक सकते हैं तो कांग्रेस-बीजेपी ने उत्तराखंड में अब तक किया क्या है? pic.twitter.com/5ScjWm9fbL
— Manish Sisodia (@msisodia) December 16, 2021
सिसोदिया ने एक विद्यालय की स्थिति को ट्वीट करते हुए लिखा है- उत्तराखंड के सरकारी स्कूलों की एक तस्वीर देखिए. खुली दीवारों पर ब्लैकबोर्ड बनाकर इस तरह के पाँच classrooms में पढ़ाए जा रहे हैं बच्चे. यहाँ तैयार होगा 21वीं सदी का भारत? डिजिटल इंडिया? पाँच साल से उत्तराखंड की सरकार चला रही बीजेपी को शर्म नही आती स्कूलों की ये हालत देखकर?
उत्तराखंड में सरकारी विद्यालय भवनों की स्थिति पर दैनिक जागरण अखबार की वेबसाइट पर 29 अगस्त, 2021 को प्रकाशित एक रिपोर्ट और उसकी हेडिंग पर ध्यान दिया जाना चाहिए। हेडिंग है- उत्तराखंड में 1288 स्कूलों के भवन जर्जर हालत में, सिर्फ 522 को ही दी गई मरम्मत के लिए धनराशि।
दैनिक जागरण लिखता है, प्रदेश में सरकारी प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों के 1288 भवन जर्जर हालत में हैं। इनमें से सिर्फ 522 की मरम्मत या पुनर्निर्माण का काम शुरू हो पाया है। 766 विद्यालय भवनों की अब तक सुध तक नहीं ली गई। केंद्र से मदद मिलने के बाद ही इन विद्यालयों का पुनर्रोद्धार होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में 1116 प्राथमिक और 172 माध्यमिक विद्यालय जीर्ण-शीर्ण हैं। प्रदेश सरकार सीमित संसाधनों के चलते अपने बूते इन विद्यालयों की मरम्मत कराने में खुद को समर्थ नहीं पा रही है। हालांकि राज्य सेक्टर में विद्यालय भवनों की मरम्मत के लिए धनराशि दी तो जा रही है, लेकिन इससे हर वित्तीय वर्ष में कम संख्या में ही विद्यालयों की मरम्मत हो पा रही है।
अखबार के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में प्राथमिक के 409 और माध्यमिक के 172 विद्यालयों को दुरुस्त करने के लिए केंद्र से वित्तीय सहायता उपलब्ध होने का इंतजार किया जा रहा है। माध्यमिक विद्यालयों के लिए 84.96 करोड़ के प्रस्तावों को सरकार मंजूरी दे चुकी है। प्राथमिक के 268 विद्यालय भवनों की मरम्मत या पुनर्निर्माण के लिए 27.41 करोड़ की धनराशि दी जा चुकी है। इसी तरह 254 माध्यमिक विद्यालयों के लिए 60.27 करोड़ दिए गए हैं। जिन विद्यालय भवनों के लिए धन दिया जा चुका हैं, उनमें भी खर्च की रफ्तार संतोषजनक नहीं है।
रिपोर्ट में जिलावार उन विद्यालयों की संख्या दी गई है, जिनके भवन जर्जर हैं- इसमें चौंकाने वाला तथ्य यह है कि देहरादून जिले में ही जर्जर हाल प्राथमिक स्कूलों की संख्या 120 है। वहीं राजधानी के नजदीकी जिले टिहरी गढ़वाल में 156 प्राथमिक स्कूलों के भवनों की हालत खराब है। पौड़ी गढ़वाल में 133, पिथौरागढ़ में 128 व नैनीताल में 119 विद्यालयों के भवन दयनीय हैं।
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