CARE

सीखने की क्षमता को बाधित करते हैं हॉर्मोन

बच्चों को समय से पहले युवा न बनने दें। इसके लिए उन्हें तनाव और मोटापे से बचायें।
युवावस्था के दौरान प्यूबर्टी (यौवन से संबंधित) हॉर्मोन सीखने की क्षमता को बाधित करते हैं। शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस तरह का बदलाव ये हॉर्मोन मस्तिष्क के एक खास हिस्से को प्रभावित करते हैं। बार्कले स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया में एसोसिएट प्रोफेसर व अध्ययन की मुख्य लेखक लिंडा विलब्रेख्त ने कहा,’हमने पाया है कि यौवन से संबंधित हॉर्मोन मस्तिष्क के फ्रंटल कॉर्टेक्स के लिए एक ’स्वीच’ की तरह काम करता है, जो सीखने की क्षमता में बाधा पैदा करता है।
विलब्रेख्त ने कहा, ’आधुनिक शहरी परिवेश में लड़कियां तनाव और मोटापे की समस्या के कारण समय से पहले जवान हो रही हैं, जो स्कूलों में उनके खराब प्रदर्शन और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ा है। इस मामले में पाया गया कि चुहिया में जब प्यूबर्टी से संबंधित हॉर्मोन इंजेक्ट किया गया, तो शोधकर्ताओं ने उनके फ्रंटल कॉर्टेक्स के तंत्रिका संचार में महत्वपूर्ण बदलाव देखा। ये बदलाव फ्रंटल मस्तिष्क में हुए, जो सीखने, ध्यान देने तथा स्वभाव के नियंत्रण से जुड़ा है। अध्ययन का नेतृत्व करने वाले लेखक डेविड पाइकस्र्की ने कहा, ’हमारी जानकारी में यह पहला अध्ययन है, जो यह दर्शाने में कामयाब हुआ है कि यौवन से संबंधित हॉर्मोन कॉर्टेक्स के तंत्रिका संचार में बदलाव लाते है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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