नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि जब वैक्सीन बाहु पर लगती है, तो सब बाहुबली बन जाते हैं और कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए बाहुबली बनने के लिए एक ही उपाय है कि आपके बाहु पर वैक्सीन लगवा दीजिए।
संसद के मानसून सत्र 2021 की शुरुआत में संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक 40 करोड़ से ज्यादा लोग कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बाहुबली बन चुके हैं। आगे भी बहुत तेज गति से इस काम को आगे बढ़ाया जा रहा है।
यह Pandemic ऐसी महामारी है, जिसने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लिया हुआ है, पूरी मानव जाति को अपनी चपेट में लिया हुआ है। और इसलिए हम चाहते हैं कि संसद में भी इस Pandemic के संबंध में सार्थक चर्चा हो।
सबसे प्राथमिकता देते हुए इसकी चर्चा हो और सारे व्यवहारिक सुझाव सभी सांसदों से मिलें, ताकि Pandemic के खिलाफ लड़ाई में बहुत नयापन भी आ सकता है, कुछ कमियां रह गई हों तो उनको भी ठीक किया जा सकता है और इस लड़ाई में सब साथ मिल करके आगे बढ़ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि मैंने सभी फ्लोर लीडर्स से भी आग्रह किया है कि अगर कल शाम को समय निकालें तो Pandemic के संबंध में सारी विस्तृत जानकारी उनको देना चाहता हूं।
हम सदन में भी चर्चा चाहते हैं और सदन के बाहर भी सभी फ्लोर लीडर्स से, क्योंकि लगातार मैं मुख्यमंत्रियों से मिल रहा हूं।
अलग-अलग forum में सब प्रकार की चर्चा हो रही है। तो फ्लोर लीडर्स से भी मैं चाहता हूं कि सदन चल रहा है तो एक सुविधाजनक होगा, रूबरू मिलकर उसकी बात होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि यह सदन परिणामकारी हो, सार्थक चर्चा के लिए समर्पित हो, देश की जनता जो जवाब चाहती है वो जवाब देने की पूरी तैयारी है।
उन्होंने सांसदों से, सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वो तीखे से तीखे सवाल पूछें, धारदार सवाल पूछें, लेकिन शांत वातावरण में सरकार को जवाब का मौका भी दें। ताकि जनता-जनार्दन के पास सत्य पहुंचाने से लोकतंत्र को भी ताकत मिलती है, जनता का भी विश्वास बढ़ता है और देश की गति भी तेज होती है, प्रगति की।- PIB
Key words:- #MonsoonSessionofParliament 2021, Monsoon Session of Parliament 2021, #Bahubali, Positive debate on Pandemic in Parliament
मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव।
बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया।
बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं।
शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी
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