
मनइच्छा मंदिर परिसर स्थित भैरव गुफा की चट्टान से निरंतर रिसता जल सहित अन्य जल स्रोतों से प्राप्त जल का प्रबंधन सीखने लायक है। वहीं निरंतर जल प्रवाह से भैरो गुफा का तापमान खाद्य पदार्थों को संरक्षित रखता है। यहां जल की एक-एक बूंद बचाने के लिए स्थाई एवं पुख्ता इंतजामों की आवश्यकता है, जिसके लिए सहयोग चाहिए, ताकि गर्मियों में जल संकट न हो।
देहरादून की ओर से ऋषिकेश जाते समय डांडी गांव से थोड़ा आगे बाई ओर नरेंद्रनगर बाइपास दिखता है। यहां से आप सीधा नरेंद्रनगर जा सकते हैं, वो भी ऋषिकेश जाए बिना।
वनों के बीच से होते हुए नरेंद्रनगर की ओर ले जा रही सड़क बहुत शानदार है। करीब डेढ़ किमी. चलकर बाई ओर स्थित मां मनइच्छा मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंच जाएंगे।
हमें बताया गया कि मां मनइच्छा देवी यहां प्रतिष्ठित पिंडी के रूप में अवतरित हैं। मां की प्रतिष्ठित पिंडी पांच सौ वर्ष से भी अधिक प्राचीन है।
मंदिर के सेवक एवं स्थानीय डांडी गांव निवासी एसपी कोठारी बताते हैं कि यहां जल के प्राकृतिक स्रोत हैं, जिनसे मंदिर परिसर के सभी कार्य संपन्न होते हैं। यहां आसपास पानी के लिए कोई ट्यूबवैल, पाइप लाइन जैसी कोई व्यवस्था नहीं है।
बताया गया कि पूर्व में भूगर्भ वैज्ञानिक यहां आए थे, उन्होंने इस पहाड़ पर कुछ यंत्रों की सहायता से अध्ययन के बाद बताया कि इस भूमि पर आसपास जल की संभावना नहीं है। मंदिर परिसर में जलधाराएं निकलना आश्चर्य की बात है।
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