Creativity
दीदार
तुझे पाने की जुस्तजू
और दीदार की ख्वाइश है
ये मेरी चाहत का दीवानापन
या इश्क की आजमाइश है।
लगा पल-पल क्यों ऐसा
कि चाँद में तेरा ही साया है
निहारा रात भर चाँद को
पर तेरा दीदार न पाया है।
ये उलझन है मेरे दिल की
तुझे खोजूँ मैं सपनों में
मगर तुझे मिलने के गुमां ने भी
हर रात मुझे सताया है।
होंठों पर है तेरा नग्मा
दिल में तेरी ही कहानी है
भुलाऊँ कैसे मैं तुझको
कुछ कसमें हैं जो निभानी है।
हर शाम की तन्हाई में
तेरी यादों ने तड़पाया है
आँखें मूँदड़ा के बैठी तो
खुद को तेरे आगोश में पाया है।
तड़प है ये अधूरी मोहब्बत की
कि तेरा दीदार हो जाये
भर लूँगा मैं तुझको बाँहो में
और प्यार का श्रृंगार हो जाये।।
- शशि देवली
गोपेश्वर उत्तराखंड
साहित्य सागर