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कहानीः पंखों वाले हाथी

पहले हाथी भी पक्षियों की तरह उड़ते थे। विशाल हाथियों के उड़ने की कल्पना करना भी एक तरह का रोमांच है। कैसे होते होंगे उड़ने वाले हाथी। एक कहानी के अनुसार विशाल और ताकतवर हाथियों के चार सुनहरे पंख होते थे, जिनकी मदद से वो दुनियाभर की उड़ान भरते थे। संसार की रचना करने में व्यस्त ईश्वर ने उनको देखा तो विचार आया कि क्यों न हाथियों की मदद ली जाए। इनके पलभर में एक छोर से दूसरे छोर पर पहुंचने की ताकत का इस्तेमाल संसार की रचना करने में किया जाए।

ई्श्वर ने हाथियों को अपने पास बुलाया और उनसे कहा कि खूबसूरत संसार की रचना में तुम्हारा बड़ा योगदान हो सकता है। हाथियों ने तुरंत हां कर दी और सहयोग के लिए तैयार हो गए। अब ईश्वर उन पर सवार होकर चारों दिशाओं का भ्रमण करते और पहाड़ों, समुद्र, धरती व ग्लेशियरों को अपने अनुसार एक जगह से दूसरी जगह पर शिफ्ट करने लगे। हाथियों ने पूरे बल के साथ इस कार्य में साथ दिया। हाथियों की मदद से खुश होकर ईश्वर ने उनसे कहा, तुम खुश रहो, स्वतंत्र रहो और आज से तुम्हें जीवनभर के लिए अवकाश दिया जाता है।

ईश्वर से जीवनभर खुश रहने और अवकाश हासिल करने का वरदान पाकर हाथियों में उत्साह का संचार हो गया। वो स्वयं को अन्य जीवों से ज्यादा बलशाली और श्रेष्ठ मानने लगे। हाथियों में घमंड आ गया। वो सारा दिन इधर से उधर उड़ान भरते। हाथी दूसरे जीवों को सताने लगे। जहां भी कुछ मिलता, खा जाते। उन्होंने जंगल तबाह कर दिए। जीवों के खाने के लिए एक भी फल नहीं छोड़ा। जहां भी उनको फलों के पेड़ दिखाई देते, तब तक खाते रहते, जब तक कि सारे फल खत्म न हो जाएं।

हाथी पूरी दुनिया को यह कह रहे थे कि अगर हम नहीं होते तो ईश्वर दुनिया की रचना नहीं कर पाते। हाथी केले के पेड़ों को उखाड़ने के लिए गांवों में उतर जाते। उनके विशाल शरीर और पंखों के नीचे आकर खेत बर्बाद हो जाते। लोगों के घरों को नुकसान पहुंचाते। हाथियों की मनमानी से दुखी होकर जीवों और इंसानों ने ईश्वर से कहा, आप कुछ कीजिए, नहीं तो पूरी धरती पर एक दिन पंखों वाले हाथी ही दिखाई देंगे। ईश्वर ने कहा, आप लोग सही कह रहे हो, हाथियों पर अंकुश लगाना होगा।

एक दिन ई्श्वर ने हाथियों की बैठक बुलाई। सभी हाथी खुशी- खुशी उनके पास पहुंचे। ईश्वर ने हाथियों से कहा, आपने दुनिया की रचना में बड़ा योगदान दिया है। आप सभी को दावत देना चाहता हूं। हाथी खुश हो गए और दावत का इंतजार करने लगे। कुछ ही देर में उनके सामने उनकी पसंद के केले और तरह-तरह की वनस्पतियां पेश की गईं। हाथियों ने भरपेट भोजन किया या यह कहें कि वो कुछ ज्यादा ही खा गए।

ज्यादा भोजन खाने की वजह से हाथियों को गहरी नींद आ गई। इसी दौरान ईश्वर ने हाथियों के पंखों को काट दिया। उनके सुनहरे पंख मोर को दे दिए। मोर की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वो सुनहरे पंख लगाकर गाता हुआ नाचने लगा। ईश्वर ने कहा, इतने खूबसूरत पंखों की जरूरत तो मोर को ही है। हाथियों ने जागने पर पाया कि उनके पंख नहीं हैं। इससे वो काफी दुखी और गुस्सा हो गए। हाथियों ने ईश्वर ने कहा, हमारे पंख कहां चले गए। क्या हमारे पंख आपने देखे हैं। ईश्वर ने मोर की ओर इशारा करते हुए कहा, तुम्हारे पंख मोर के पास हैं। वो देखो पंख लगाकर मोर कितना सुंदर नृत्य कर रहा है।

हाथियों ने कहा, क्या आपने हमारे पंख उसको दिए हैं। ईश्वर ने कहा, वर्तमान में तुम्हें पंखों की जरूरत नहीं है। अब आप लोग बड़े-बड़े पंखों का प्रयोग कम दुरुपयोग ज्यादा कर रहे हो। इसलिए आपके पंख मोर को दे दिए, जो शानदार नृत्य से पूरे जंगल को खुश कर रहा है। ईश्वर ने हाथियों से कहा, आप के पंखों के नीचे आकर इंसानों के घर टूट गए। उनकी फसलों को नुकसान पहुंचा है। आप लोग अपनी शक्ति का इस्तेमाल इंसानों के घरों को बनाने और फसल उगाने में करो।

हाथियों को अपनी गलती का अहसास हो गया। उन्होंने ईश्वर से माफी मांगते हुए कहा, हम अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल कर रहे थे। अब से हम अपनी ताकत का इस्तेमाल ठीक उसी तरह भलाई के लिए करेंगे, जैसा आपके निर्देश पर दुनिया की रचना करने के लिए कर रहे थे। ईश्वर ने हाथियों को सदैव ताकतवर रहने का आशीर्वाद देते हुए देवलोक की ओर प्रस्थान किया। तब से हाथी बिना पंखों के रह रहे हैं।

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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