AI education from class 3 India: शैक्षणिक सत्र 2025-26 में देश के सभी स्कूलों में तीसरी कक्षा से एआई पर पाठ्यक्रम शुरू होगा
पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति बनाई
AI education from class 3 India: नई दिल्ली, 30 अक्तूबर, 2025ः शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (एआई और सीटी) को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता दोहराई है। शैक्षणिक सत्र 2026-27 से तीसरी कक्षा से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग की शुरुआत की जाएगी। यह एनईपी 2020 और एनसीएफ एसई 2023 के अनुरूप होगा।
विभाग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और कम्प्यूटेशनल थिंकिंग (एआई और सीटी) सीखने, सोचने और सिखाने की अवधारणा को सुदृढ़ करेगा और धीरे-धीरे “सार्वजनिक हित के लिए एआई” की अवधारणा की ओर विस्तारित होगा। यह पहल जटिल चुनौतियों को हल करने के लिए एआई के नैतिक उपयोग की दिशा में एक नया लेकिन महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि यह तकनीक कक्षा 3 से शुरू होकर, आधारभूत स्तर से ही अंतर्निहित होगी।
AI education from class 3 India: इसका उद्देश्य छात्रों को भविष्य की तकनीक और डिजिटल दुनिया के लिए तैयार करना है। इस दिशा में एक व्यापक फ्रेमवर्क तैयार किया जा रहा है। साथ ही, देशभर में शिक्षकों को AI शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। बच्चे तीसरी कक्षा से ही AI और डिजिटल सोच सीखना शुरू करेंगे ताकि आने वाले समय में तकनीकी बदलावों के लिए तैयार हों।
29 अक्टूबर 2025 को एक हितधारक परामर्श आयोजित किया गया, जिसमें सीबीएसई, एनसीईआरटी, केवीएस, एनवीएस और बाहरी विशेषज्ञों सहित विशेषज्ञ निकाय एक साथ आए। केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने एआई और सीटी पाठ्यक्रम विकसित करने के लिए आईआईटी मद्रास के प्रोफेसर कार्तिक रमन की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है।
परामर्श में, डीओएसईएल के सचिव, संजय कुमार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की शिक्षा को हमारे आसपास की दुनिया (टीडब्ल्यूएयू) से जुड़े एक बुनियादी सार्वभौमिक कौशल के रूप में माना जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम व्यापक, समावेशी और एनसीएफ एसई 2023 के अनुरूप होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रत्येक बच्चे की विशिष्ट क्षमता हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने आगे कहा कि नीति निर्माताओं के रूप में हमारा काम न्यूनतम सीमा निर्धारित करना और बदलती ज़रूरतों के आधार पर उसका पुनर्मूल्यांकन करना है।
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इस बात पर प्रकाश डाला कि निष्ठा के शिक्षक प्रशिक्षण मॉड्यूल और वीडियो-आधारित शिक्षण संसाधनों सहित शिक्षक प्रशिक्षण और शिक्षण सामग्री, पाठ्यक्रम कार्यान्वयन की रीढ़ बनेगी। एनसीएफ एसई के अंतर्गत एक समन्वय समिति के माध्यम से एनसीईआरटी और सीबीएसई के बीच सहयोग से निर्बाध एकीकरण, संरचना और गुणवत्ता आश्वासन सुनिश्चित होगा। कुमार ने इस बात पर ज़ोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय बोर्डों का विश्लेषण और एक अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य होना अच्छी बात है, लेकिन यह हमारी ज़रूरतों के अनुरूप होना चाहिए।
संयुक्त सचिव (सूचना एवं प्रौद्योगिकी) प्राची पांडे ने पाठ्यक्रम विकास और क्रियान्वयन के लिए निर्धारित समयसीमा का पालन करने के महत्व को दोहराते हुए समापन किया।
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