
World Stroke Day AIIMS Rishikesh awareness and CPR training: ‘हर मिनट मायने रखता है’
एम्स ऋषिकेश ने छात्रों को दिया सीपीआर प्रशिक्षण
World Stroke Day AIIMS Rishikesh awareness and CPR training: देहरादून/ऋषिकेश: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने विश्व स्ट्रोक दिवस (1 नवंबर 2025) के अवसर पर जन जागरूकता कार्यक्रम और जीवन रक्षक कौशल, कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) पर विशेष व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया।
इस दौरान विशेषज्ञ चिकित्सकों ने आम लोगों और छात्र-छात्राओं को स्ट्रोक से बचाव, इसके लक्षणों की पहचान और खतरों के प्रति जागरूक किया।
खतरे, कारण औऱ पहचान के प्रति जागरूकता पर जोर
विश्वभर में स्ट्रोक के बढ़ते खतरे, कारण और पहचान के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से यह कार्यक्रम संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉक्टर) मीनू सिंह के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया।
सामुदायिक चिकित्सा विभाग के तत्वावधान में, देहरादून के साई ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन्स में सीपीआर का व्यावहारिक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया, जहाँ प्रतिभागियों को सीपीआर देने की विधि समझाई गई और स्ट्रोक जागरूकता पर महत्वपूर्ण जानकारियां दी गईं।
‘एफ.ए.एस.टी’ फॉर्मूला समझाया
World Stroke Day AIIMS Rishikesh awareness and CPR training: सामुदायिक चिकित्सा विभाग की डॉ. मधुरी ने इस वर्ष की थीम “हर मिनट मायने रखता है” (एवरी मिनट काउन्ट्स) के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह थीम स्ट्रोक और हृदयाघात जैसी आकस्मिक चिकित्सकीय परिस्थितियों में समय पर कार्यवाही की महत्ता को दर्शाती है।
उन्होंने स्ट्रोक के बढ़ते जोखिमों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि जीवनशैली में सुधार से जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। डॉ. मधुरी ने स्ट्रोक के लक्षणों की पहचान के लिए आसान एफ.ए.एस.टी (F.A.S.T.) विधि को मूल मंत्र बताया:
- F (फेस/चेहरा): चेहरे का एक भाग ढीला पड़ना या हिलने में असमानता।
- A (आर्म्स /बांहें): दोनों बांहों का समान रूप से ऊपर न उठ पाना।
- S (स्पीच/बोली): बोली का अस्पष्ट या लड़खड़ाना।
- T (टाइम/समय): तुरंत आपातकालीन चिकित्सकीय सहायता बुलाना।
सीपीआर प्रशिक्षण सत्र
World Stroke Day AIIMS Rishikesh awareness and CPR training: कार्यक्रम के दूसरे सत्र में, एम्स ने पैरामेडिकल पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों के लिए सीपीआर का व्यावहारिक प्रशिक्षण आयोजित किया। विभाग के अर्शदीप ने सीपीआर की तकनीकी प्रक्रियाओं का प्रदर्शन किया, जो सीपीआर जागरूकता माह (अक्तूबर के प्रथम सप्ताह) की पहल का ही एक भाग था।
जीवनरक्षक कौशल: एक सामाजिक सशक्तिकरण
अपने संदेश में प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि इस प्रकार का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को न केवल जीवनरक्षक कौशल प्रदान करता है, बल्कि समाज में आपातकालीन स्वास्थ्य जागरूकता को भी सशक्त बनाता है। साई इंस्टीट्यूशन की प्राचार्य डॉ. संध्या डोगरा ने एम्स ऋषिकेश का आभार प्रकट करते हुए इस कार्यक्रम को जन जागरूकता की दृष्टि से बहुत ही लाभकारी बताया।
एम्स ऋषिकेश जन जागरूकता के ऐसे आयोजनों के माध्यम से सामुदायिक स्वास्थ्य शिक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को सशक्त बना रहा है, जिससे स्ट्रोक की रोकथाम, त्वरित प्रतिक्रिया और आपातकालीन पुनर्जीवन (सीपीआर) की जानकारी समाज के हर वर्ग तक पहुंच सके, क्योंकि वास्तव में हर मिनट मायने रखता है।













