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Web Story: डोईवाला के दो बुजुर्ग भाइयों की कहानी आपको भावुक कर देगी

“ हमारे पास एक समय में सौ पशु थे, जिनको चराने के लिए जंगल ले जाते थे। धीरे-धीरे संख्या कम होती गई और इस समय हमारे पास मात्र 13 पशु हैं, जिनके हर माह 300 रुपये प्रति पशु के हिसाब से मिलते हैं। हम दोनों भाइयों के पास पशु चराने के अलावा आमदनी का और कोई जरिया नहीं है। हमारे पास जमीन भी नहीं है। पर, हमें अपने इस काम से बहुत प्यार है। पशुओं से बहुत लगाव है, इनके साथ हमारी उम्र बीत गई। लगभग 50 साल से पशुओं को चरा रहे हैं।” लगभग 65 साल के चैत राम अपने बारे में कुछ जानकारियां देते हैं।

चैतराम और उनके भाई गोविंद राम (करीब 62 साल से कुछ ज्यादा उम्र के)  खत्ता गांव में रहते हैं। डोईवाला से उनका घर करीब तीन किमी. होगा। उनको स्थानीय लोग “पाली” कहकर पुकारते हैं। बताते हैं कि वो “ग्वाला” हैं, पर “पाली” नाम भी उनको पसंद है। गांव के लोग बहुत अच्छे हैं, जो अपने पशुओं को उनके साथ भेजते हैं। उनका हम पर वर्षों का विश्वास है।

पूरी स्टोरी पढ़ने के लिए क्लिक करें- Video: एक दिन की दिहाड़ी 65 रुपये के लिए रोजाना 20 किमी. पैदल चलते हैं 65 साल के बुजुर्ग

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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