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कनखल में श्रवण कुमार की लीला ने दिया भक्ति का संदेश

हरिद्वार। रामलीला कमेटी कनखल के रंगमंच पर श्रवणनाथ लीला का मनोहारी मंचन हुआ। मंचन के दौरान बड़ी संख्या में स्थानीय लोग उपस्थित रहे। इससे पूर्व परम्परा अनुसार मंच पूजन पूरे विधि विधान के साथ सम्पन्न हुआ।
कनखल रामलीला कमेटी के रंगमंच पर श्रवणनाथ लीला का मंचन हुआ। कलाकारों ने अपने शानदार अभिनय से खूब वाहवाही बटोरी। रामलीला के दृश्यों में कई संदेश छिपे थे, जिन्हें मंच संचालक ने दर्शको से शेयर किया। श्रवण लीला में श्रवण कुमार की मातृ पितृ ​भक्ति और राजा दशरथ के साथ उनके मिलने के दृश्य व संवाद जानदार थे।
नकली गुरु व शिष्य के संवादों के मंचन के माध्यम से संदेश दिया गया कि लोग अपने माता पिता की सेवा छोड़कर नकली गुरुओं के आडम्बरों में ही सुख तलाशते हैं, जो बाद में उनके लिए दुखदायी सिद्ध होता है। कल की लीला रावण वेदवती संवाद और नारद मोह है। रामलीला का संचालन प्रदीप गर्ग ने किया।
रामलीला में मंच पूजा पर प्रमुख संतों महानिर्वाणी अखाड़े के संत रविन्द्र पुरी महाराज, निर्मल संतपुरा के संत बलवंत सिंह , नया अखाड़ा के आकाश मुनि व भैरो मंदिर के संत कौशल महाराज के साथ रामलीला प्रमुख शैलेन्द्र , संजय कोशिश, चुन्नू अत्री, प्रमोद शर्मा,अमर भारद्वाज, मनोज वर्मा, जगमोहन मामा, गंगाशरण भारद्वाज, सोनू शर्मा,डा. कैलाश चंद खन्ना, गंगा सभा महामंत्री रामकुमार मिश्रा, धर्मवीर, नितिन माना, प्रतीक गुप्ता, हिमांशु राजपूत, हरिओम अनेजा, सुधांशु गौतम, चुन्नु​ त्रिपाठी आदि उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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