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वर्ष 2018-19 से अब तक ओलंपिक और एनएसएफ सहायता पर 765 करोड़ खर्च

नई दिल्ली। युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने आज राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि ओलंपिक सहित दूसरे अंतर्राष्ट्रीय खेलों की तैयारी एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है। टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए भारतीय दल की तैयारी की निगरानी के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया था।

कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान, कई एथलीटों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजा गया, ताकि उन पर महामारी का असर नहीं हो। इसके अलावा टोक्यो के अन्य संभावित खिलाड़ियों को भी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ देश के विभिन्न प्रशिक्षण शिविरों में प्रशिक्षित किया गया।

राष्ट्रीय खेल संघों को सहायता योजना के लिए आवंटित राशि के तहत ओलंपिक सहित दूसरे अंतरराष्ट्रीय खेलों की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों के प्रशिक्षण और दूसरी प्रतिस्पर्धी जरूरतों का ध्यान रखा जाता है।

राष्ट्रीय खेल विकास कोष के जरिए ओलंपिक में पदक जीतने की संभावना वाले खिलाड़ियों को टारगेट ओलंपिक पोडियम योजना (टीओपीएस) के तहत जरूरी प्रशिक्षण का ध्यान रखा गया है।

वर्ष 2018-19 से टीओपीएस के तहत अब तक 54.26 करोड़ और एनएसएफ को सहायता योजना के तहत 711.46 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं।

‘खेल’ राज्य का विषय है। यह राज्य सरकारों की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार खेल के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और उसके निर्माण का काम करें।

हालांकि, केंद्र सरकार राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों को खेलों के लिए अहम इंफ्रास्ट्रक्चर और दूसरी जरूरी सुविधाओं को विकसित करने के लिए ‘खेलो इंडिया’ की योजना के तहत वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है। इसके तहत खेल विज्ञान और खेलों के उपकरण आदि के लिए मौजूदा कमियों को जरूरी प्रस्तावों के जरिए पूरा किया जाता है।

ओलंपिक जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने की तैयारी करने वाले खिलाड़ियों का प्रशिक्षण मुख्य रूप से भारतीय खेल प्राधिकरण के केंद्रों पर होता है। जहां पर पर्याप्त सुविधाएं होती हैं।

इसके अलावा प्रत्येक राज्य सरकारों को इस बात की अनुमति है कि वह अपने स्वामित्व वाले एक मौजूदा खेल सुविधा केंद्र को खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (एसएलकेआईएससीई) के रूप में घोषित करें। जिसके तहत केंद्र द्वारा जरूरी मानव संसाधन और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

इसके तहत मौजूदा सुविधाओं और उसके विकास के लिए जरूरी सुविधाओं का आकलन किया जाता है और कमियों की पहचान कर उसे दूर किया जाता है। देशभर में ऐसे 24 एसएलकेआईएससीई शुरू हो चुके हैं। – PIB

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Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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