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Uttarakhand Election 2022: राहुल बोले, उत्तराखंड और मेरे परिवार के बीच कुर्बानियों का रिश्ता

देहरादून। देहरादून के परेड ग्राउंड से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने 2022 के विधानसभा चुनाव का शंखनाद कर दिया। विजय सम्मान रैली में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर हमला बोला। उन्होंने उत्तराखंड और अपने परिवार के बीच कुर्बानी का रिश्ता भी जोड़ा।

राहुल गांधी ने जनरल बिपिन रावत को श्रद्धांजलि अर्पित की और पूर्व सैनिकों को स्मृति चिन्ह प्रदान करके उनका सम्मान किया।
रैली में राहुल गांधी ने 1971 के युद्ध में भारत की जीत को याद किया। उन्होंने कहा, बांग्लादेश युद्ध को लेकर दिल्ली में एक आयोजन हुआ। इसमें इंदिरा गांधी के नाम का जिक्र नहीं किया गया। जिस महिला ने देश के लिए 32 गोलियां झेलीं, उनका नाम तक नहीं लिया गया, क्योंकि यह सरकार सच्चाई से डरती है।

उन्होंने कहा, मेरी दादी और पिता देश के लिए शहीद हुए, जिस तरह से उत्तराखंड के हजारों परिवारों ने देश के सम्मान के लिए अपने परिजनों को खो दिया, उसी तरह से मेरे परिवार ने भी बलिदान दिया है, लेकिन जिन परिवारों ने राष्ट्र के लिए कोई बलिदान नहीं दिया, वे इसे महसूस नहीं कर सकते।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, जो लोग आपको रोजगार दे सकते हैं, उन छोटे कारोबारियों, व्यापारियों को भाजपा ने खत्म कर दिया। जब तक भाजपा की सरकार केंद्र से नहीं हटेगी, युवाओं को रोजगार नहीं मिलेगा।

उन्होंने कहा, हेलीकॉप्टर, हवाई जहाज, तोप से देश मजबूत नहीं होता। देश मजबूत तब होता है, जब देश का नागरिक मजबूत होता है। जब जनता बिना डरे बोल सके, तब देश मजबूत होता है।

राहुल गांधी ने कहा, आज देश को बांटा जा रहा है, कमजोर किया जा रहा है। पूरी सरकार दो तीन पूंजीपतियों के लिए चलाई जा रही है। काले कानून, किसानों को खत्म करने को बनाए गए थे। किसान नहीं डरे और न ही पीछे हटे। उन्होंने कहा, जो 700 किसान शहीद हुए, उनके बारे में भाजपा के नेता सदन में कहते हैं कि किसी की मृत्यु नहीं हुई। पंजाब सरकार ने 400 किसानों को मुआवजा दिया, लेकिन केंद्र सरकार ने नहीं दिया।  रैली को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी संबोधित किया।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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