एलन ट्यूरिंग के अलावा भी कई वैज्ञानिकों और गणितज्ञों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
DigitalFeatured

शुरुआत में इन वैज्ञानिकों और गणितज्ञों ने किया Artificial Intelligence का विकास

न्यूज लाइव टीम

एलन ट्यूरिंग के अलावा भी कई वैज्ञानिकों और गणितज्ञों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कुछ प्रमुख नाम इस प्रकार हैं:

जॉन मैकार्थी: इन्हें “कृत्रिम बुद्धिमत्ता” शब्द का निर्माण करने का श्रेय दिया जाता है। उन्होंने एआई के लिए लिस्प प्रोग्रामिंग भाषा का विकास किया जो एआई अनुसंधान में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। लिस्प (LISP), यानी लिस्ट प्रोसेसिंग, एक ऐसी प्रोग्रामिंग भाषा है जिसे आमतौर पर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है। यह एक बहुत पुरानी भाषा है, और इसे आधुनिक उच्च-स्तरीय प्रोग्रामिंग भाषाओं में से एक माना जाता है।

मार्विन मिंस्की: मिंस्की को एआई के क्षेत्र में पायनियर माना जाता है। उन्होंने सिम्बॉलिक एआई और आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क्स पर महत्वपूर्ण कार्य किया।

क्लाउड शैनन: शैनन को सूचना सिद्धांत का जनक माना जाता है। उनके काम ने कंप्यूटर विज्ञान और एआई दोनों को प्रभावित किया।

अल्फ्रेड नॉर्थ व्हाइटहेड और बर्ट्रेंड रसेल: इन दोनों दार्शनिकों और गणितज्ञों ने तर्क और गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया, जिसने एआई के विकास के लिए आधार तैयार किया।

वर्नर वॉन ब्राउन: एक जर्मन-अमेरिकी वैज्ञानिक थे जिन्होंने रॉकेटरी और अंतरिक्ष यान के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके काम ने एआई के लिए आवश्यक कंप्यूटिंग शक्ति के विकास को प्रेरित किया।

ये सिर्फ कुछ उदाहरण हैं, और कई अन्य वैज्ञानिकों और इंजीनियरों ने एआई के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

एआई के विकास में इन शुरुआती वैज्ञानिकों के योगदान को समझना क्यों महत्वपूर्ण है?

मूलभूत अवधारणाएं: इन वैज्ञानिकों ने एआई की मूलभूत अवधारणाओं को विकसित किया, जैसे कि तर्क, ज्ञान प्रतिनिधित्व, और मशीन लर्निंग।

अनुसंधान का मार्गदर्शन: उनके काम ने एआई अनुसंधान की दिशा को निर्धारित किया और भविष्य के विकास के लिए आधार तैयार किया।

प्रौद्योगिकी का विकास: इन वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीकों ने आधुनिक कंप्यूटरों और एआई सिस्टम के विकास को संभव बनाया।
आज हम जिस एआई तकनीक का उपयोग करते हैं, वह इन शुरुआती वैज्ञानिकों के काम पर आधारित है।- साभार- एआई

ई बुक के लिए इस विज्ञापन पर क्लिक करें

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker