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Uttarakhand: किसकी शह पर बनाई जा रही थी भागीरथी नदी में सड़क?
ऐसा कैसे हो सकता है कि भागीरथी नदी में सड़क बन रही थी, पर उत्तरकाशी प्रशासन को बाद में पता चला। यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रशासन ने जब तक कार्रवाई की, तब तक सड़क आधी से ज्यादा बन चुकी थी।सवाल तो यह भी उठता है कि अगर ग्रामीण सूचना नहीं देते, मीडिया मामले को नहीं उठाता तो क्या प्रशासन कार्रवाई नहीं करता?
सवाल तो यह भी उठता है कि भागीरथी नदी में किसकी शह पर खनन के लिए सड़क का निर्माण किया जा रहा था ? अगर किसी की शह पर ऐसा नहीं हो रहा था तो क्या खनन करने वालों की इतनी हिम्मत बढ़ गई है कि वो प्रशासन को भी कुछ नहीं समझ रहे? क्या खनन करने वालों को प्रशासन से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
दूसरे दिन प्रकाशित फॉलोअप के अनुसार, यहां ग्रामीणों और मीडिया की भूमिका ने भागीरथी में सड़क बनने से रुकवाई ही नहीं, बल्कि तुड़वा भी दी। प्रशासन ने सड़क बनाकर नदी का प्रवाह बाधित करने वाले पर दो लाख 80 हजार 499 रुपये का जुर्माना लगाया है।
इस पूरे मामले से तो यही कहा जा सकता है कि राज्य में नदियों की सुरक्षा का दावा उतना खरा नहीं है, जितना किया जाता है। 12 दिसंबर के अखबारों में एक खबर प्रकाशित होती है, जिसमें बताया जाता है कि खनन के लिए भागीरथी नदी का प्रवाह रोक दिया गया।
अमर उजाला लिखता है- जनपद मुख्यालय के समीप डुंडा क्षेत्र में एक खनन कारोबारी ने बिना अनुमति भागीरथी नदी में सड़क बना दी। इसके लिए बोल्डर व मिट्टी भरकर नदी का प्रवाह भी रोका गया है। इतना कुछ होने के बाद भी जिला प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगी। ग्रामीणों की शिकायत पर जब तक पुलिस कार्रवाई करती, तब तक नदी के आधे से अधिक हिस्से पर सड़क बना दी गई थी। फिलहाल प्रशासन ने सड़क निर्माण का कार्य रोक दिया।
अखबार के अनुसार, कुछ दिन से भागीरथी नदी में रात में जेसीबी चलाई जा रही है। जिस स्थान पर भागीरथी का प्रवाह रोक कर सड़क बनाई जा रही है, उसके दूसरी तरफ खनन कारोबारी का पट्टा स्वीकृत है।
इस खबर में उत्तरकाशी के जिलाधिकारी मयूर दीक्षित का कहना है, नदी का प्रवाह रोक कर सड़क बनाए जाने की जानकारी मिली है। प्रशासन ने किसी व्यक्ति को ऐसी कोई अनुमति नहीं दी है। संबंधित एसडीएम एवं तहसीलदार को मामले में जानकारी जुटाने को कहा गया है। वहीं, एसपी मणिकांत मिश्रा का कहना है, कुछ दिन पूर्व क्षेत्र के ग्रामीणों ने भागीरथी में अवैध सड़क बनाए जाने की सूचना दी थी। ग्रामीणों की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्य रुकवा दिया।
इसी मामले में हिन्दुस्तान अखबार ने हेडिंग लगाया- उत्तरकाशी में किसने बदला भागीरथी का प्रवाह। अखबार लिखता है- भागीरथी नदी में अवैध खनन जारी है। खनन माफिया के हौसले इतने बुलंद हो गए हैं कि वो नदी प्रवाह के साथ भी छेड़छाड़ करने लगे हैं। खनन की आड़ में नदी के प्रवाह को डायवर्ट करके सड़क बनाई डाली।
इस मामले को मुद्दा बनाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने खबरों के साथ सोशल मीडिया पर साझा किया है-
माननीय #मुख्यमंत्री जी खनन प्रेम की भी इंतहा होनी चाहिए! आपने उत्तरकाशी में खनन के लिए #भागीरथी का प्रवाह ही रोक लिया, वाह राज्य का मोटो बना दिया! "बजरी-बालू की लूट है, लूट सके तो लूट लो"।@pushkardhami @BJP4UK#uttarakhand #Congress pic.twitter.com/wolcdZ4V1N
— Harish Rawat (@harishrawatcmuk) December 12, 2021
रावत ट्वीट करते हैं- माननीय #मुख्यमंत्री जी खनन प्रेम की भी इंतहा होनी चाहिए! आपने उत्तरकाशी में खनन के लिए #भागीरथी का प्रवाह ही रोक लिया, वाह राज्य का मोटो बना दिया! “बजरी-बालू की लूट है, लूट सके तो लूट लो”।
13 दिसंबर के अखबारों में खबर है कि – भागीरथी में बनाई सड़क को प्रशासन ने तुड़वाया। अमर उजाला लिखता है- खनन कारोबारी की ओर से भागीरथी नदी पर बनाई गई सड़क को प्रशासन ने तुड़वा दिया है। साथ ही खनन कारोबारी पर दो लाख 80 हजार 499 का जुर्माना लगाया गया है। खनन कारोबारी ने नदी का प्रवाह रोक सड़क का निर्माण किया था। इसके लिए प्रशासन से कोई अनुमति भी नहीं ली गई थी।
अखबार यह भी लिखता है -मीडिया में खबर प्रकाशित होने पर हरकत में आए प्रशासन ने कार्रवाई की है।
इन खबरों से अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा कि राज्य में नदियों में खनन की स्थिति क्या है। खनन करने वाले नदियों को किस तरह नुकसान पहुंचा रहे हैं। ऐसे में नदियों एवं पर्यावरण संरक्षण का नारा किसी भी दशा में खरा साबित नहीं हो सकता।