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डोईवाला तहसील में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का प्रदर्शन

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का कार्य बहिष्कार 20 फरवरी से चल रहा

डोईवाला। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने राज्य कर्मचारी घोषित किए जाने, मानदेय 18 हजार रुपये प्रति माह दिलाने सहित कई मांगों को लेकर डोईवाला तहसील परिसर में प्रदर्शन किया। कांग्रेस ने आंंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के आंदोलन का समर्थन किया।

उत्तराखंड राज्य आंगनबाड़ी कर्मचारी संघ की प्रदेश अध्यक्ष सुशीला खत्री के नेतृत्व में धरना, प्रदर्शन के बाद उपजिलाधिकारी कार्यालय के माध्यम से प्रदेश सरकार और कांग्रेस परवादून जिलाध्यक्ष मोहित उनियाल के माध्यम से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को ज्ञापन भेजा गया।

संघ की अध्यक्ष सुशीला खत्री ने कहा, जब तक उनकी मांगों को पूरा करने का शासनादेश जारी नहीं हो जाता, 20 फरवरी से चल रहा कार्य बहिष्कार जारी रहेगा। कार्य बहिष्कार के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ता केन्द्र में उपस्थित रहेंगे, लेकिन किसी भी प्रकार का कार्य ऑनलाइन या ऑफ लाइन विभागीय एवं गैर विभागीय सभी कार्यों का बहिष्कार करेंगे।

ज्ञापन में कहा गया, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को भारत सरकार 4,500 रुपये तथा राज्य सरकार 4,800 रुपये मानदेय देते हैं। सहायिकाओं को भारत सरकार 2,250 रुपये तथा राज्य सरकार 3,000 रुपये मानदेय देते हैं। कई राज्यों में आंगनबाड़ी कर्मचारियों का अतिरिक्त मानदेय भी दिया जाता है। इन कर्मचारियों का मानदेय पांच वर्ष में एक बार संशोधित होता है, इन्हें कोई महंगाई भत्ता या वेतन वृद्धि नहीं दी जाती। श्रम कानून के तहत जैसे ग्रेच्युटी, पेंशन भविष्य निधि एवं स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ इन्हें नहीं मिलता। वर्तमान महंगाई को देखते हुए और कार्य की अधिकता को देखते हुए आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ और सहायिकाओं का मानदेय बहुत कम है।

ज्ञापन में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को राज्य कर्मचारी घोषित करने, जब तक राज्य कर्मचारी घोषित नहीं किया जाता, तब तक उनको काम के बदले उचित मानदेय देने की मांग की गई। मानदेय प्रतिदिन की न्यूनतम मजदूरी 600 रुपये के हिसाब से 18,000 रुपये प्रतिमाह दिया जाए।

संघ का कहना है, आंगनबाड़ी केंद्रों के उच्चीकरण की सहमति भारत सरकार ने दी है, लेकिन राज्य सरकार ने विभागीय स्तर पर इसमें अभी तक कोई भी कार्यवाही नहीं की, उच्चीकरण प्रक्रिया जल्द शुरू की जाए। आंगनबाडी कार्यकर्ताओं के लिए भविष्य निधि की सुविधा प्रदान की जाए।

ज्ञापन में सेवानिवृत्ति की आयु 60 वर्ष से बढ़कर 62 वर्ष करने, सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का लाभ दिलाने, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय अनुसार ग्रेच्युटी का लाभ दिलाने, कुक्ड फूड योजना के अंतर्गत आठ रुपये की वर्तमान भोजन दर अपर्याप्त है। भोजन दर को संशोधित कर सामान्य बच्चों के लिए 16 रुपये और कुपोषित बच्चों के लिए 24 रुपये किए जाने की कृपा करें।

2023 के नन्दा गौरा योजना की पात्र बालिकाओं के फॉर्म सरवर डाउन होने के कारण पोर्टल पर अपलोड नहीं हो सके, जिससे कुछ जरूरतमंद बालिकाएं लाभ पाने से वंचित रह गई हैं। उनको अपलोड करने के लिए समय दिया जाए।

संघ ने ज्ञापन के माध्यम से अपनी समस्याें भी बताईं। ज्ञापन में कहा गया, वर्तमान में विभाग अधिकतर कार्य ऑनलाइन करा रहा है, पिछले दिनों विभाग ने जो फोन उपलब्ध कराए थे, खराब हो चुके हैं। नये फोन उपलब्ध कराए जाएं तथा समय पर सिम रीचार्ज की व्यवस्था की जाए।

कहा गया कि राज्य में कई आंगनबाड़ी केन्द्रों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पद वर्षों से रिक्त पड़े हैं। इन रिक्त पदों पर शीघ्र नियुक्तियां की जाएं। अन्य विभागों का कार्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से न कराया जाए, अगर अन्य विभागों के कार्य में ड्यूटी लगाई जाती है तो उस अवधि के दौरान विभागीय कार्यों से मुक्त रखा जाए। कई विभागों में एक साथ ड्यूटी लगाने से आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को मानसिक तनाव होता है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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