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अपनी पसंद के डिजाइनर बेबी हो सकेंगे पैदा

  • इस खोज में एक एनआरआई भारतीय वैज्ञानिक भी शामिल
    वाशिंगटन


    अब पहली बार अमेरिका में जेनेटिकली मॉडिफाइड इंसानी भ्रूण विकसित किए गए हैं, बेशक ये डिजाइनर बेबी पैदा करने की दिशा में कोई क्रांति नहीं है, लेकिन इस ओर पहला कदम रख दिया गया है।  पहली बार दुनिया में अमेरिका बीते साल चीन ने भी ये कोशिश की थी, जिसमें मानव भ्रूण को बदलने के लिए क्रिसपर नाम की एक नई तकनीक का इस्तेमाल किया जो जींस में काट-छांट कर सकती है और इस मामले में इसने दिल का दौरा पड़ सकने वाले जींस हटा दिए, हालांकि इससे फिर से नैतिकता से जुड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं, लेकिन अब तक इंसानी भ्रूण को इंसान के भीतर रोपा नहीं गया है। ये आम कोशिकाएं नहीं हैं, बल्कि पहली बार जेनिटिकली विकसित किए गए इंसानी भ्रूण हैं, जो अमेरिका में तैयार किए गए हैं। चीन, दक्षिण कोरिया और अमेरिका के वैज्ञानिकों की एक टीम ने इस बात की पहचान की कि कैसे वह जीन हटा सकते हैं, जिसकी वजह से बाद के जीवन में दिल की परत मोटी हो जाती है और दिल के दौरे का ख़तरा बढ़ जाता है, इस टीम के एक सदस्य कश्मीर में जन्मे और दिल्ली में पढ़े डॉ संजीव कौल भी हैं, जो बाद में अमेरिका चले गए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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