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मानसिक विकास के लिए बच्चों को अच्छा माहौल दें

बच्चों के मानसिक विकास में माता-पिता और घर के माहौल का अहम रोल होता है। जिस प्रकार बच्चों का शारीरिक विकास के लिए उनका काफी ध्यान रखा जाता है उसी प्रकार मानसिक विकास के लिए भी आपको बच्चों को एक अच्छा माहौल और आपके प्यार की जरूरत होती है। आजकल बढ़ती प्रतिस्पर्धा की दौड़ में आगे बढ़ने के लिए बच्चों को तेज दिमाग होना बहुत जरूरी है। उन्हें वो सब कुछ पता होना चाहिए, जो उनके लिए जानना जरूरी है। हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा बुद्धिमान बने और पढ़ाई में आगे निकले। लेकिन क्या आप जानते हैं बच्चों को बुद्धिमान बनाना आपके हाथ में है? जी हां, अगर बच्चों को एक खुशनुमा माहौल दिया जाए खाने में पौष्टिक आहार दिया जाए तो बच्चों को बुद्धिमान बनाना आसान हो जाता है। जानें बच्चों का दिमाग तेज करने के उपाय।
दिमागी खेल के फायदे
बच्चों के दिमागी विकास और उन्हें बुद्धिमान बनाने के लिए जरूरी है कि बच्चों के साथ छोटे-छोटे दिमागी खेल खेले जाएं। पहले उन्हें विस्तार से खेल का तरीका बताएं फिर उनके साथ बच्चा बनकर ही खेलें और गलती होने पर उन्हें अवश्य बताएं। जिससे वे उस गलती को दोबारा करने से बचेंगे। इन खेल की मदद से उनका दिमाग तो तेज होगा ही साथ उन्हें मजा भी आएगा।
प्यार से तेज होता है दिमाग
शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक जो महिलाएं अपने नवजात को ज्यादा प्यार व दुलार देती हैं। उनके बच्चों के दिमाग के हिप्पोकैंपस क्षेत्र में ज्यादा नर्व कोशिकाएं बनती हैं, जिससे बच्चे का दिमाग तेज होता है। मां से लगाव होने पर बच्चों के दिमागी विकास पर काफी असर होता है।
पौष्टिक आहार
बच्चों के दिमागी विकास के लिए उन्हें पौष्टिक आहार की बहुत जरूरत होती है। बच्चों को खाने में हरी सब्जियां, फल, दूध, मेवे, अंडे आदि जैसे खाद्य पदार्थ दें। बच्चों को जंक फूड का सेवन कम से कम कराएं। हर रोज सुबह बच्चों को भीगे हुए बादाम की दो तीन गरियां खाने को दें। इससे उनकी याद्दाशत बढ़ती है।
पर्याप्त नींद
पोषक तत्वों के अलावा, पर्याप्त नींद आवश्यक है। अमेरिका में हुए एक अध्ययन के मुताबिक दोपहर में खाना खाने के बाद क़रीब एक घंटे की नींद लेने से बच्चों की याददाश्त बढ़ती है। शोधकर्ताओं के मुताबिक दिमाग को मजबूत बनाने और सीखने के लिए दोपहर की नींद बेहद अहम है।
किताबों के शौकीन
बच्चों के दिमागी विकास के लिए नयी-नयी तकनीक आ चुकी है लेकिन हम किताबों से मिलने वाले ज्ञान को कैसे भूल सकते हैं। ज्यादातर बच्चों को किताबें पढ़ने का शौक होता है। आपको बच्चे की इस शौक में बाधा बनने की जगह उन्हें किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। यह हर उम्र के बच्चों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इससे उन्हें हर तरह का ज्ञान मिलता है। तो अब बच्चों का दिमागी विकास के लिए इन उपायों को अपनायें और अपने प्यारे को बनाए जिनियस। ध्यान रहे बच्चे आपसे ही सीखते हैं इसलिए जैसा आप बोलेंगे व्यवहार करेंगे वे भी वैसा ही करेंगे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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