नई दिल्ली। भारतीय डाक ने हाल के दिनों में ऐसा पाया है कि अनेक यूआरएल/वेबसाइट कुछ सर्वेक्षणों, प्रश्नोत्तरी के माध्यम से सरकारी सब्सिडी प्रदान करने का दावा कर रहे हैं। ये छोटे यूआरएल सहित व्हाट्सएप, टेलीग्राम, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया और ईमेल/एसएमएस के माध्यम से लोगों को गुमराह करके फर्जीवाड़ा कर रहे हैं।
भारतीय डाक विभाग ने सूचित किया है कि वो सर्वेक्षण आदि के आधार पर सब्सिडी, बोनस या पुरस्कार की घोषणा जैसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं है। इस तरह की अधिसूचना/संदेश/ई-मेल प्राप्त करने वाले लोगों से अनुरोध है कि वे ऐसे फर्जी और नकली संदेश पर विश्वास न करें या इसका उत्तर या कोई व्यक्तिगत विवरण साझा नहीं करें।
विभाग ने लोगों से यह भी अनुरोध किया है कि किसी भी व्यक्तिगत रूप से पहचान-योग्य जानकारी जैसे जन्म तिथि, खाता संख्या, मोबाइल नंबर, जन्म स्थान और ओटीपी आदि साझा न करें।
डाक विभाग का कहना है, हालांकि विभिन्न रोकथाम तंत्रों के माध्यम से इन यूआरएल/लिंक्स/वेबसाइटों से बचाव के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। व्यापक तौर पर आम लोगों से एक बार फिर अनुरोध किया जाता है कि वो किसी भी फर्जी / नकली संदेशों / संचार / लिंक पर विश्वास न करें या उनका जवाब न दें। प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) की इंडिया पोस्ट और फैक्ट चेक यूनिट ने इन यूआरएल/वेबसाइटों को सोशल मीडिया के जरिए फर्जी घोषित किया है।
▶️ न तो वेबसाइट और न ही संगठन इंडिया पोस्ट से जुड़ा है।
▶️ ऐसे फर्जी संगठनों और वेबपेज से सावधान रहें।
— India Post (@IndiaPostOffice) April 21, 2022