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उत्तराखंड में वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन 14567 की शुरुआत

देहरादून। सीनियर सिटीजन की समस्याओं को सुनने के लिए उत्तराखंड में हेल्प लाइन की शुरुआत की गई है। राज्य में इस नेशनल हेल्पलाइन एल्डरलाइन 14567 का शुभारंभ मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने किया।

भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार ने वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए हेल्पलाइन 14567 शुरू की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विजन सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के अनुरूप यह हेल्पलाइन बुजुर्गों की समस्याओं के निदान में सहायक होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बुजुर्गों की सहायता के लिए सभी को आगे आना चाहिए। इसके लिए जन जागरूकता बहुत जरूरी है।

उत्तराखंड के दूरस्थ व पर्वतीय क्षेत्रों में बड़ी संख्या में वरिष्ठजन एकाकी जीवन जी रहे हैं। हमें उन सभी तक पहुंचना है और उनकी समस्याओं का समाधान करना है।

ग्राम स्तर तक जागरूकता लानी जरूरी है। वरिष्ठजनों के कल्याण के लिए संचालित योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी ग्राम स्तर तक दी जाए। मुख्यमंत्री ने आशा व्यक्त की कि हेल्पलाइन 14567 बुजुर्गों की समस्याओं को दूर करने के उपयुक्त मंच होगा और उनको भावनात्मक सपोर्ट भी प्रदान करेगा।

कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने कहा कि इस हेल्पलाइन से वरिष्ठजनों की समस्याओं का समाधान घर बैठे होगा। यह कॉल सेंटर ही नहीं, बल्कि सच्चे मायनों में कनेक्ट सेंटर बनेगा। आर्य ने कहा कि कॉल सेंटर पर काम करने वाले कर्मचारी व्यवहार कुशल हों। विभागीय अधिकारी भी लगातार इसकी मानिटरिंग करें।

अपर सचिव समाज कल्याण रामविलास यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भारत सरकार व समाज कल्याण विभाग उत्तराखंड ने वरिष्ठ नागरिकों को सहायता देने एवं आवश्यक सेवाएं प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन (एल्डर लाइन-14567) स्थापित की है। सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक इस पर सम्पर्क किया जा सकता है।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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