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देहरादून में चिपको 2022 : ‘सरकार पेड़ काट रही है, हम पेड़ बचाने आए हैं’

देहरादून में 12 साल के गौरांग कर रहे पेड़ों को बचाने की मुहिम 'चिपको 2022' का नेतृत्व

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

सात साल के राघव देहरादून के एक स्कूल में क्लास 2 के छात्र हैं। राघव से हमारी मुलाकात देहरादून के आईटी पार्क चौराहे पर ‘चिपको 2022’ आंदोलन स्थल पर हुई, जिसका नेतृत्व 12 साल के गौरांग कर रहे हैं। सहस्रधारा रोड के चौड़ीकरण के लिए 2057 पेड़ों को काटने के लिए चिह्नित किया गया है। गौरांग इन पेड़ों के कटान का विरोध कर रहे हैं। 22 अगस्त, 2022 को उनकी जागरूकता मुहिम को 37 दिन हो गए थे।

देहरादून के आईटी पार्क चौराहे के पास स्लोगन लिखी तख्तियों से लोगों को जागरूक करते युवा। फोटो- राजेश पांडेय

देहरादून के इस हिस्से में काफी ट्रैफिक है, गाड़ियों का शोर एक मिनट भी नहीं थम रहा है। पुलिस ड्यूटी पर मुस्तैद है। एक विशाल पेड़ के नीचे गौरांग और अन्य लोग, जिनमें महिलाएं, बुजुर्ग, युवा शामिल हैं, आते-जाते लोगों को नारे लगाकर, तख्तियों पर लिखे स्लोगन की ओर ध्यान दिलाकर जागरूक करने का प्रयास कर रहे हैं।

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बीच- बीच में, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अपील करता गीत “धामी भैया, धामी भैया मान जाओ, छोड़ो भी ये जिद जरा पेड़ों को बचाओ”, “धामी अंकल, धामी अंकल…” भी गुनगुनाया जाता है।

देहरादून के आईटी पार्क चौराहे के पास पेड़ों को बचाने के लिए जागरूकता मुहिम चलाते पर्यावरण प्रेमी। फोटो- राजेश पांडेय

हां, तो हम बात कर रहे थे राघव से मुलाकात की। राघव भी गौरांग के साथ “हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब…” गीत गा रहे थे। वो  नारा लगाते हैं, “हम सबने यह ठाना है, पेड़ों को बचाना है”।

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पापा के साथ, हेलमेट लगाकर साइकिल चलाते हुए आंदोलन स्थल पर पहुंचे राघव से हमने पूछा, आप यहां क्यों आए हो, क्या आप जानते हो, यहां क्या हो रहा है। उनका सीधा जवाब था, “सरकार पेड़ काट रही है, हम पेड़ बचाने आए हैं”।

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वो यहीं नहीं रुकते हैं, कहते हैं- “मैंने अपने बुक्स में पढ़ा है, पेड़ों में जानवर का घर रहता है, जैसे पक्षी का। उनका घर टूट जाएगा तो यह अच्छी बात नहीं है”।

देहरादून स्थित आईटी पार्क चौराहे के पास पेड़ों को बचाने की मुहिम में शामिल सात साल के राघव, जो कक्षा दो के छात्र हैं। फोटो- राजेश पांडेय

राघव बताते हैं, “मैं यहां इसलिए आया हूं, देहरादून ग्रीन सिटी हो”।

देहरादून के आईटी पार्क चौराहे पर हर शाम साढ़े छह से साढ़े सात बजे तक जागरूकता मुहिम चला रहे, गौरांग ऊर्जा से भरपूर दिखते हैं। उनके आंदोलन में अभी भी वही वाली ताकत दिखती है, जो पहले दिन थी।

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खेलने कूदने की उम्र में पर्यावरण बचाने की मुहिम चलाने के सवाल पर सातवी कक्षा के छात्र गौरांग कहते हैं, “किसी को तो इन पेड़ों को बचाने के लिए आगे आना होगा। किसी को तो अपने फ्यूचर को बैटर करना होगा। ये पेड़ हमें इतना कुछ देते हैं, क्या हम इनके लिए रोजाना एक घंटा नहीं दे सकते”।

देहरादून के आईटी पार्क चौराहे के पास पेड़ों को बचाने के लिए जागरूकता मुहिम चलाते पर्यावरण प्रेमी। फोटो- राजेश पांडेय

क्या आपको उम्मीद है, आपका मूवमेंट सफल हो जाएगा, अब पेड़ नहीं काटे जाएंगे, पर गौरांग सधा हुआ जवाब देते हैं, “आप अभी हमें हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाब एक दिन… गाते हुए सुन रहे थे। हमें पूरी उम्मीद है कि सरकार पेड़ों को काटने का आर्डर कैंसिल कर देगी”। हम पर्यावरण और पेड़ों के लिए लोगों को इसी तरह जागरूक करते रहेंगे। पहले दिन इस मूवमेंट में हम तीन लोग थे, अब हम दो सौ से ज्यादा लोग हैं, जो पेड़ों को बचाने के लिए आगे आए हैं।

देहरादून के आईटी पार्क चौराहे के पास पेड़ों को बचाने के लिए जागरूकता मुहिम चलाते गौरांग के पिता हिमांशु चौहान (बाएं से सबसे पहले) , सामाजिक मुद्दों के पैरोकार मोहित उनियाल (गौरांग के पास खड़े हैं), और साथ में, पर्यावरण प्रेमी बुजुर्ग । फोटो- राजेश पांडेय

गौरांग के पिता हिमांशु चौहान, पेशे से शिक्षक हैं और पेड़ बचाने के आंदोलन में पूरी तरह सक्रिय हैं, का कहना है, “हमने सरकार को यह प्रस्ताव दिया था कि पेड़ों के रहते हुए भी सड़क को चौड़ा किया जा सकता है। विकास का मतलब पेड़ों को काटना नहीं होता।” चौहान बताते हैं, यह मामला हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन है।

हम यहां रहते हैं-

 

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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