Short story- Moral Values

मैंने नहीं, साही ने उजाड़ा खेत

एक शाम डॉगी बैठा हुआ आराम कर रहा था। तभी एक साही उसके पास आकर बोली, मुझे भूख लगी है, कुछ खाने को दो। डॉगी ने कहा, मेरे पास खाने के लिए कुछ नहीं है। मैं भी सोच रहा हूं, आज रात का खाना कहां से मिलेगा। साही ने कहा, तुम्हें मेरी मदद करनी होगी, जल्दी बताओ, मुझे खाना कहां से मिलेगा। डॉगी से उससे पीछा छुड़ाने के लिए गन्ने के खेत की ओर इशारा करते हुए कह दिया, जाओ वहां खेत से जितना  चाहो, खा लो। ध्यान रखना, गन्ने का तना ही खाना, जड़ मत चट कर जाना। अगर जड़ उखाड़ दी तो दोबारा गन्ना नहीं लगेगा। डॉगी ने साही को गन्ने का जो खेत दिखाया था, वह किसी जज का था। 

साही तुरंत खेत की ओर दौड़ ली और खूब मजे से गन्ने का स्वाद चखा। उसको गन्ने इतने मीठे लगे कि वह दूसरे दिन भी वहां पहुंच गई। इस बार उसने तने के साथ जड़ भी चबा डाली। कुछ दिन में साही ने गन्ने का पूरा खेत उजाड़ दिया। शहर से लौटे जज ने जब अपने खेत की दुर्दशा देखी तो उन्हें बड़ा दुख हुआ। उन्होंने देखा कि यह डॉगी हमेशा यही बैठा रहता है, इससे पूछता हूं कि उनका खेत किसने उजाड़ा। जज ने डॉगी को इशारा करके अपने पास बुलाया और पूछा, सच-सच बताओ, यह खेत किसने उजाड़ा। डॉगी ने बता दिया कि आपका खेत साही ने उजाड़ा है। 

साही को बुलाया गया, तो उसने साफ कह दिया कि मुझे तो खेत में गन्ने खाने के लिए डॉगी ने ही भेजा था। इस पर डॉगी ने कहा, साही मैंने तुम्हें बता दिया था कि तना ही खाना, तुमने तो जड़ें भी चबा डाली हैंं। खेत को नुकसान तो तुमने ही पहुंचाया है। दोनों के बीच बहस होती देखी जज ने कहा, इसका फैसला कोर्ट में होगा कि कौन दोषी है और कौन निर्दोष। अभी तुम दोनों अपने ठिकानों पर जाओ। सर्दियों के दिन थे, कोर्ट से समन आ गए। साही और डॉगी को बुला लिया गया पेशी पर। सुबह-सुबह पेशी पर जाते हुए डॉगी को काफी ठंड लग रही थी। वह कांपता हुआ जज के सामने पेश हुआ। उसे देख साही बोली, जज साहब, देखो डॉगी कैसे कांप रहा है। यह दोषी है, इसलिए डर के मारे कांप रहा है।

वहीं ठंड से बुरे हाल हुए डॉगी अपने पक्ष में कुछ बोलता, उसके दांत किटकिटाने लगे। उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी। साही को मौका मिल गया, वह बोली- जज साहब, डॉगी की आवाज भी नहीं निकल रही है। डॉगी यह सोचकर घबरा रहा है कि आप उसे कहीं ज्यादा सजा न सुना दो। जज ने भी समझा कि दोषी होने की वजह से डॉगी घबरा रहा है। उन्होंने उसे गांव से बाहर चले जाने की सजा सुना दी। डॉगी रोता हुआ गांव से बाहर चला गया। अफ्रीका में रात को ज्यादा भौंकने वाले डॉगी के बारे में कहा जाता है कि ये अपनी बेगुनाही साबित करते हुए कहते हैं कि हम निर्दोष हैं, गन्ने के खेत को साही ने बर्बाद किया था। (अनुवादित- अफ्रीका की कहानी)

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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