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डेंगू की रोकथाम व नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग की 22 प्वाइंट की गाइड लाइन

डेंगू पीड़ित गंभीर रोगियों के लिए ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएः स्वास्थ्य विभाग

देहरादून। उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू रोग की रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए दिशा निर्देश जारी किए हैं। विभाग का कहना है, पिछले वर्षों से डेंगू राज्य में एक प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में परिलक्षित हो रहा है। माह जुलाई से नवम्बर तक का समय डेंगू वायरस के संक्रमण के लिए अनुकूल होता है। आने वाले महीनों में डेंगू रोग के फैलने की आशंका को देखते हुए गाइड लाइन का पालन करना महत्वपूर्ण है।

1. राज्य में डेंगू रोग को Notifiable Disease घोषित करने की अधिसूचना “उत्तराखंड महामारी (मलेरिया एवं डेगू) विनियम 2019” दिनांक 27 सितम्बर 2021 को जारी की जा चुकी है, जिसमें निहित समस्त तकनीकी एवं प्रशासनिक कार्यवाहियों का जनपद स्तर पर क्रियान्वयन करना सुनिश्चित करें।

2. डेंगू एवं चिकनगुनिया रोग की समुचित रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए अन्य समस्त विभागों की भी महत्वपूर्ण भागीदारी होती है। समस्त विभागों द्वारा डेंगू रोकथाम एवं नियंत्रण के लिए, उनके द्वारा की जाने वाली गतिविधियां समय पर की जाएं। डेंगू मच्छरों को पनपने से रोकने के लिए की जाने वाली समस्त गतिविधियां सभी विभाग निरन्तर करते रहें, ताकि डेंगू के मच्छर को पनपने से रोका जा सके और इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा निरन्तर प्राप्त की जाए।

3. शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निरन्तर स्वच्छता अभियान चलाए जाएं, ताकि डेंगू रोग के मच्छरों को पनपने से रोका जा सके। पर्वतीय जनपदों के मैदानी एवं घाटी क्षेत्रों में भी विशेष निगरानी रखी जाए। डेंगू रोग के मच्छरों के पनपने के स्थानों की साफ सफाई, नाले-नालियों की सफाई, ठोस कचरे का उचित निस्तारण, टीमों का गठन कर क्षेत्रों में डेंगू निरोधात्मक कार्यवाहियां बचाव उपायों पर जनजागरूकता, रोस्टर अनुसार फॉगिंग व कीटनाशक का छिड़काव आदि गतिविधियां की जाएं। जन सहभागिता बढ़ाए जाने के लिए जनप्रतिनिधियों, वार्ड पार्षदों, ग्राम प्रधानों का सहयोग भी प्राप्त किया जाए।

4. मलिन बस्तियों में डेंगू लार्वा पनपने की अत्यधिक आशंका के दृष्टिगत विशेष सफाई अभियान चलाए जाएं। लोगों को पानी को ढंक कर रखने के लिए तथा ऐसे स्थान, जहां पानी जमा होने की संभावना है, को लगातार साफ करने के लिए जागरूक किया जाए।

5. डेंगू रोग के दृष्टिगत भीड़ वाले क्षेत्र जैसे सब्जी मंडी, बस अड्डा, रेलवे स्टेशन, पार्क आदि पर विशेष
निगरानी रखी जाए तथा साफ सफाई व डेंगू निरोधात्मक कार्यवाहियां निरन्तर की जाएं।

6. डेंगू रोग पर नियंत्रण के लिए लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहिया (सोर्स रिडक्शन) एक कारगर व उपयुक्त उपाय है, जिसके लिए नगर निगम / नगर पालिका, आशा कार्यकर्ता व अन्य विभागों के सहयोग से टीमें बनाकर क्षेत्र में कार्यवाही की जाए।

7. डेंगू रोग को महामारी का रूप लेने से रोकने के लिए नगर निगम / नगर निकाय द्वारा माइक्रो प्लान बनाकर
रोस्टर अनुसार फॉगिंग की जाए, ताकि प्रत्येक क्षेत्र में सप्ताह में कम से कम एक बार फॉगिंग की जा सके।

8. निर्माणाधीन परियोजनाओं, अधूरे निर्माण कार्य क्षेत्र, नव निर्माण कार्य क्षेत्रों में अभियान के तौर पर सुनिश्चित रखा जाए कि डेंगू मच्छर न पनप पाएं।

9. समस्त राजकीय एवं निजी संस्थानों जैसे ऑफिस, बैंक, व्यापारिक संस्थानों, शैक्षणिक संस्थानों, होटल, रिसॉर्ट, रेस्त्रां, चिकित्सालय, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि से सेल्फ डिक्लेरेशन सर्टिफिकेशन प्राप्त किया जाए कि उनके परिसर में कहीं भी पानी जमा नहीं है, जिसमें डेंगू का मच्छर पनप सके और ऐसी कोई स्थिति उत्पन्न न हो, इसके लिए उनके द्वारा नियमित तौर से निरीक्षण किया जा रहा है।

10. जिन स्थानों पर चेतावनी के पश्चात् भी पानी जमा होने से डेंगू मच्छर पैदा होने की स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, ऐसे संस्थानों व लोगों पर आर्थिक दंड का प्रावधान किया जाए ताकि जनहित में डेंगू रोग के खतरे से लोगों को बचाया जा सके और महामारी का रूप लेने से रोका जा सके।

11. डेंगू रोग की रोकथाम के लिए आम जनमानस का सहयोग अत्यन्त आवश्यक है, जिसके लिये इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया एवं अन्य नेटवर्क के माध्यम से डेंगू की रोकथाम और नियंत्रण सम्बन्धित वृहद जागरूकता की जाए। अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित करते हुए विभिन्न माध्यमों से प्रचार प्रसार किया जाए। जिला सूचना अधिकारियों द्वारा भी जनपद स्तर पर निरन्तर प्रेस विज्ञप्ति एवं अन्य माध्यमों से जागरूकता की जाए।

12. सभी विद्यालयों एवं शैक्षणिक संस्थानों को निर्देश दिये जाएं कि विद्यालय परिसर में कहीं पानी जमा न हो, जिससे मच्छर पनपने की स्थिति उत्पन्न न हो। परिसर में साफ सफाई रहे, कबाड़ जमा न हो और निरन्तर घास कटान हो।

प्रार्थना सभाओं/असेम्बली के दौरान विद्यार्थियों को डेंगू रोग से बचाव के उपायों पर सजग किया जाए। विद्यार्थियों को पूरी बाजू की शर्ट, पतलून, लेगिंग, लंबी जुराबों वाली ड्रेस पहनने के निर्देश दिए जाए, ताकि डेंगू रोग के मच्छरों के काटने से बचाव किया जा सके। अभिभावकों को पेरेन्ट-टीचर मीटिंग एवं स्कूल एप के माध्यम से डेंगू से बचाव उपायों के लिए जागरूक किया जाए। डेंगू से बचाव के उपायों पर छात्र-छात्राओं की जागरूकता के लिए सेमिनार, वाद-विवाद, पोस्टर, चित्रकला, निबन्ध लेखन व प्रोजेक्ट वर्क आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाए।

13. जिला स्तर पर आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा उपलब्ध निगरानी प्रणाली एवं संसाधनों के माध्यम से स्वास्थ्य विभाग के साथ समन्वय में समस्त विभागों द्वारा की जा रही बचाव एवं रोकथाम गतिविधियों की निगरानी की जाए तथा समय-समय पर स्थिति अनुसार बचाव दिशा निर्देश प्रदान किए जाएं और निरोधात्मक कार्यवाहियों में सहयोग किया जाए।

14. डेंगू रोकथाम हेतु स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों जैसे नगर निगम, शिक्षा विभाग, ग्राम्य एवं शहरी विकास, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, लोक निर्माण, जल संस्थान, जल निगम आदि के सहयोग व अंतर्विभागीय समन्वय हेतु जनपद स्तर पर बैठकों का समय से आयोजन किया जाए।

15, चिकित्सालयों में डेंगू रोगियों के उपचार के लिए पृथक आईसोलेशन वार्ड तैयार कर मच्छरदानी युक्त पर्याप्त
बेड व आवश्यक औषधियों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए तथा डेंगू आइसोलेशन वार्ड के लिए नोडल अधिकारी नामित किए जाएं।

16, डेंगू पीड़ित गंभीर रोगियों हेतु ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

17. डेंगू जांच केन्द्रों में आवश्यक सामग्री जैसे ELISA जांच किट व अन्य जांच सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।

18. डेंगू के उपचार एवं नियंत्रण हेतु भारत सरकार की गाइडलाइन “National Guidelines for Clinical Management of Dengue fever” को समस्त राजकीय एवं निजी चिकित्सालायों / चिकित्सकों को आवश्यक कार्यवाहियों हेतु उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें।

19. डेंगू रोगियों की शुरुआती चरण मे पहचान के लिए फीवर सर्वे किए जाएं, लक्षणों के आधार पर डेंगू रोग की संदिग्धता होने पर जांच की जाए।

20. डेंगू रोगी पाए जाने व किसी प्रकार की क्लस्टरिंग मिलने की स्थिति में रोगी के घर के आस-पास लगभग 50 घरों व 500 मीटर की परिधि में आवश्यक रूप से लार्वा निरोधात्मक कार्यवाहियां (सोर्स रिडक्शन), Space/Focal Spray, Fogging, सघन फीवर सर्विलेन्स एवं जनजागरूकता की जाए।

21. स्वास्थ्य विभाग व आईएमए प्रतिनिधियों / निजी चिकित्सालयों/पैथोलोजी लैबों के मध्य समन्वय बैठक (CME Meeting/Workshop) की जाए, ताकि आमजन में डेंगू रोग के प्रति व्यापत भ्रान्ति / भय को दूर किया जा सके।

22 किसी भी प्रकार की आकस्मिक / आपातकालीन आवश्यकता के दृष्टिगत जनपद स्तर पर जिला कार्ययोजना मे भी डेंगू के लिए अतिरिक्त बजट का प्रावधान किया जाए।

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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