खरगोश और लोमड़ी की दोस्ती
एक शाम एक खरगोश मस्त होकर टहल रहा था। वह हल्की हवा का आनंद लेते हुए प्रकृति का आभार जता रहा था। अचानक उसने एक लोमड़ी की अपनी तरफ आते देखा। खरगोश डर गया और भागने लगा, लेकिन लोमड़ी उसके पास आ गई और कहा, दोस्त मुझसे मत डरो। मैं तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूं। मैं आपको नुकसान नहीं पहुंचाऊंगी।”
लोमड़ी ने ऐसी मीठी बात की कि जल्द ही खरगोश उसके जाल में फंस गया। अब तो रोजाना वह लोमड़ी से मिलने लगा। दोनों गहरे दोस्त हो गए।
एक दिन लोमड़ी ने दोपहर के भोजन के लिए खरगोश को अपने घर पर आमंत्रित किया। खरगोश अपना सबसे शानदार सूट पहनकर तैयार हुआ और लोमड़ी के घर पर पहुंच गया।
लोमड़ी ने खरगोश का गर्मजोशी से स्वागत किया और फिर उसके सामने गाजर का रस पेश किया। खरगोश काफी खुश हो गया और रस पीने के बाद भी वह भूखा था।
उन्होंने लोमड़ी से पूछा, “दोस्त, क्या अभी तक लंच नहीं खाया है? लोमड़ी मुस्कुराई और कहा, “मेरा लंच तैयार है क्योंकि मैं दोपहर में कच्चा भोजन करती हूं।”
इतना कहते ही लोमड़ी ने छलांग लगाकर खरगोश को पकड़ा और लंच कर लिया। कहानी संदेश देती है- धूर्त लोगों से दूरी बनाकर रखो, वो तुम्हारे दोस्ते कभी नहीं हो सकते।