देहरादून के इन किसानों ने दिखाई रोजगार की राह
सुरेंद्र सिंह बोरा, सिमलास ग्रांट में लगभग दस साल से मुर्गी पालन के साथ मछलियां भी पाल रहे हैं। सिमलास ग्रांट देहरादून जिले के डोईवाला ब्लाक का खेतीबाड़ी से समृद्ध गांव है। असम राइफल्स में सेवाएं दे चुके सुरेंद्र सिंह कहते हैं, कम जमीन में इस तरह की समन्वित खेती लाभ का सौदा है। वैसे तो, रिस्क किस व्यवसाय में नहीं है, नुकसान हमने भी झेला, पर कुल मिलाकर हम फायदे में हैं। हम परम्परागत खेती, जैसे गन्ना, धान, गेहूं भी उगाते हैं, पॉल्ट्री से निकलने वाला वेस्ट और मछलियों के तालाब का पानी खेती में खाद का काम करता है। यह आर्गेनिक खाद है और पास में ही सब्जियां, फलदार पौधे भी इस खाद से उगा रहे हैं।
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बहादुर सिंह बोरा मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज (एमईएस) में सेवाएं प्रदान कर चुके हैं और अब सेवानिवृत्ति के बाद एकीकृत खेती कर रहे हैं। पोल्ट्री फॉर्म और मछली पालन साथ-साथ करते हैं। ट्यूबवेल के पानी से मछली तालाब भरते हैं और इसमें ऑक्सीजन के लेवल को लेकर काफी सतर्क रहते हैं। कहते हैं, सबसे पहला काम तालाब में ऑक्सीजन का लेवल चेक करना होता है। उन्होंने हाल ही में मत्स्य पालन विभाग से मिली सब्सिडी पर एरोटर (Aerator) मशीन खरीदी है। बताते हैं, यह तालाब में ऑक्सीजन बढ़ाने के साथ ही, मछलियों की ग्रोथ में भी सहायक है।
आइए इस वीडियो में जानते हैं, बहुत सारी जानकारियां, जो एकीकृत खेती में बड़ी काम आने वाली हैं…