Dug DugiFeatured

वो बिटिया फिर से स्कूल जाने लगी…

मुझे स्कूल जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। यह सुनकर आप शायद हंसने लगोगे कि मुझे कभी प्यार से तो कभी जबरदस्ती खींचकर, तो कभी एकाध हाथ लगाकर, तो कभी डांटकर स्कूल के गेट तक ले जाया जाता था। पूरा मोहल्ला जान जाता था कि मेरे स्कूल का टाइम हो गया है। स्कूल घर से ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए मुझे वहां पहुंचाने में ज्यादा कसरत नहीं करनी पड़ती थी। एक बार गेट के अंदर कर दिया तो घरवालों की जिम्मेदारी पूरी। बाकी मेहनत स्कूलवालों को करनी होती थी।

बता दूं कि मैंने गेट के नीचे से भी स्कूल से भागने की नाकाम कोशिश की। जब पूछा जाता कि स्कूल क्यों नहीं जाना, तो मैं झूठ बोलता कि मैडम से डर लगता है। मैडम पीटती हैं। किसी को भी मेरी बात पर विश्वास नहीं होता, क्योंकि मेरी टीचर ने मुझे कभी नहीं पीटा। यह मुझे थोड़ा बहुत याद है पर मां जब यह किस्सा सुनाती हैं तो थोड़ा बहुत हंस जाता हूं। थोड़ा बहुत बचपन में झांकने का मौका मिल जाता है।

मैंने केजी से लेकर पांचवीं तक की पढ़ाई डोईवाला के ्श्री गुरु हरकिशन चिल्ड्रन्स एकेडमी में की। यह स्कूल गुरुद्वारा परिसर में है और इसको गुरुद्वारा वाला स्कूल के नाम से जाना जाता है। यहां बेंच पर बैठकर पढ़ाई होती थी और फिर क्लास छह में एडमिशन सरकारी स्कूल में हो गया, जहां टाट पट्टी पर कभी क्लास रूम में तो कभी मैदान में बैठकर पढ़ते थे। स्कूल के ठीक सामने रेलवे स्टेशन है और आती जाती रेल गाड़ियों को देखते रहने का आनंद हमने बचपन में खूब उठाया। उस समय कोयले वाले इंजन तेज आवाज करते हुए बोगियों को खींचते दिखते थे।

मुद्दे की बात पर आते हुए आपको बताना चाहता हूं कि केशवपुरी की एक बिटिया, जिसने करीब तीन-चार माह पहले स्कूल जाना बंद कर दिया था, वह एक बार फिर से स्कूल जाने लगी है। केशवपुरी बस्ती में तकधिनाधिन कार्यक्रम के दौरान इस बिटिया से मुलाकात हुई थी। हमने पूछा कि क्या स्कूल जाते हो, तो जवाब मिला- तीन-चार महीने से स्कूल नहीं जा रही। पांचवी क्लास में थी, स्कूल बीच में ही छूट गया। क्या स्कूल जाना चाहोगी, जवाब मिला, नहीं। स्कूल क्यों नहीं जाना चाहती। उसका जवाब था, स्कूल गए बिना ज्यादा दिन हो गए हैं, इसलिए वहां जाने में डर लग रहा है।

इस बिटिया से पूछा, क्या वह डेढ़ घंटे के डुगडुगी स्कूल में आना चाहेगी। जवाब मिला, कल से आ जाऊंगी। इस बात की बहुत खुशी हुई कि, यह बिटिया दूसरे दिन सुबह आठ बजे डुगडुगी स्कूल पहुंच गई। उसी समय हम समझ गए थे कि एक दिन यह स्कूल जरूर जाएगी। वह पढ़ने में होशियार है और अपनी क्लास की मैथ में तो उसे वह सबकुछ आता है, जो स्कूल में पढ़ाया गया था। हिन्दी में भी ठीक है। कॉपी पर बहुत तेजी से लिखती है। कुछ पूछो तो जवाब देने में भी पीछे नहीं रहती। ड्राइंग भी बहुत शानदार है। बिना कॉपी किए अपने मन से बहुत सुंदर चित्र बनाती है यह बिटिया।

डुग डुगी के संस्थापक सदस्य मोहित उनियाल रोज उससे पूछते कि क्या आज से स्कूल चलें। उसका जवाब होता, आज नहीं सर…. कल से पक्का जाऊंगी स्कूल। दूसरे दिन फिर पूछते, आज चलते हैं स्कूल। आप तो बहुत होशियार बच्चे हो और स्कूल भी जाते थे। स्कूल में आज भी आपका नाम लिखा है, तो स्कूल तो जाना चाहिए। वह फिर बहाना बना देती, सर… कल से पक्का जाऊंगी स्कूल। आज मैं अपना बस्ता भी नहीं लाई। हमें तो पूरी उम्मीद थी कि यह स्कूल जरूर जाएगी। इसलिए हमने सोचा कि कोई बात नहीं इसको अपने मन की करने दो। फिर अचानक यह बालिका दो दिन डुगडुगी स्कूल नहीं पहुंची तो हमें अपनी उम्मीद टूटती दिखी।

एक बार फिर वह सुबह आठ बजे डुगडुगी पहुंची और मोहित जी ने उससे आग्रह करते हुए पूछा कि बेटा, क्या आप स्कूल नहीं जाना चाहते। उसका जवाब था कि कल से स्कूल जाऊंगी। हमने कहा, ठीक है… जैसी आपकी इच्छा। उसने पूछा, क्या आप मुझे स्कूल तक छोड़ने जाओगे। हमने कहा, हां.. हम चलेंगे आपके साथ। आपकी मैडम जी से भी मिलेंगे। वह बहुत खुश दिखी। मंगलवार सुबह… हमें यह देखकर बहुत खुशी हुई कि यह बिटिया स्कूल यूनीफार्म में बस्ता लेकर डुगडुगी पहुंची है। मोहित जी ने पूछा, क्या आज से स्कूल। वह मुस्कराते हुए बोली.. हां सर.. आज से स्कूल जाऊंगी, पर आप मुझे स्कूल छोड़कर आओगे।

ठीक नौ बजते ही उसने हमें याद दिलाते हुए कहा, चलो स्कूल…। एक बार तो ऐसे लगा कि वह हमें स्कूल छोड़कर आने वाली है। कुछ ही देर में कुमारी सरिता का हाथ पकड़कर यह बिटिया राजकीय स्कूल केशवपुरी की ओर चल दी। जौलीग्रांट निवासी सरिता मास्टर ऑफ सोशल वर्क की छात्रा हैं और बच्चों की शिक्षा पर कार्य कर रही हैं। सरिता रोजाना सुबह आठ बजे डुगडुगी स्कूल आ रही हैं।

दृष्टिकोण समिति के संस्थापक मोहित उनियाल, रोटी कपड़ा बैंक के संस्थापक मनीष उपाध्याय भी उसको स्कूल तक छोड़ने गए। स्कूल शिक्षिकाओं ने प्रसन्नता व्यक्त की कि स्कूल से लगभग नाता तोड़ चुकी एक बालिका फिर से स्कूल पहुंची है, कुछ सीखने के लिए, जीवन में आगे बढ़ने के लिए…।

शिक्षिकाओं ने हमें बताया कि वो इस छात्रा को स्कूल बुलाने के लिए कई बार इसके घर गए। यह स्कूल नहीं आना चाह रही थी। हम चाहते हैं कि हर बच्चा स्कूल आए। यहां हर बच्चे का स्वागत है। जब हम स्कूल से वापस लौट रहे थे तो हमने देखा कि यह बिटिया अपनी क्लास में बस्ता रखकर प्रार्थना के लिए मैदान की ओर दौड़ रही है। उसने हमारी ओर देखा तो हम और वो प्यारी सी बिटिया एक साथ हंसने लगे…। सच मानो.. इस खुशी को व्यक्त करने के लिए हमारे पास शब्दों की कमी है…।

#EducationinUttarakhand
#Indianeducationsystem
#GovernmentSchoolsinUttarakhand
#Dehradun

ई बुक के लिए इस विज्ञापन पर क्लिक करें

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Adblock Detected

Please consider supporting us by disabling your ad blocker