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विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 : कारगर और कम लागत में उपचार नहीं मिलना है कैंसर से मृत्यु की खास वजह

कैंसर के उपचार के लिए नए और बेहतर तरीकों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगाः एम्स ऋषिकेश

ऋषिकेश। न्यूज लाइव

भारत बड़ी आबादी वाला देश है, जिसमें विभिन्न स्वास्थ्य समस्याएं हैं। एम्स,ऋषिकेश के चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना है कि इन समस्याओं के समाधान का एक महत्वपूर्ण माध्यम है क्लीनिकल ट्रायल्स। क्लीनिकल ट्रायल्स के माध्यम से नई दवाओं, उपचारों और तकनीकियों का परीक्षण किया जाता है, जो लोगों को लाभ पहुंचा सकता है।

एम्स की विज्ञप्ति के अनुसार, क्लीनिकल ट्रायल्स के लिए अधिकाधिक स्थानीय और भारतीय वैज्ञानिकों, चिकित्सकों और स्वास्थ्य संगठनों को शामिल किया जाना चाहिए। इससे संभावित समस्याओं और जीवनशैली के विभिन्न पहलुओं का समग्र विचार हो सकता है, जैसे कि भोजन, वातावरण, और आर्थिक स्थिति।

भारत में चल रहे क्लीनिकल ट्रायल्स यहां के लोगों को उनकी आवश्यकताओं और संदेशों के अनुसार तकनीकियों को विकसित करते हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण है और स्वास्थ्य लाभकारी प्रणालियों को समृद्ध करने में मदद कर सकता है।

भारत में चल रहे क्लीनिकल ट्रायल्स का प्रमुख लक्ष्य भारतीय लोगों को उनकी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान प्रदान करना है, जबकि साथ ही उन्हें उत्पादन से जुड़े संबंधों का लाभ उठाने में मदद करते हैं। इस प्रकार, भारतीय प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य सेवाओं के विकास का समर्थन किया जा सकता है, जिससे देश की सामाजिक और आर्थिक उन्नति हो सके।

विश्व स्वास्थ संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार कैंसर दुनियाभर में मौत का एक प्रमुख कारण है। कैंसर के मरीजों की मृत्यु की एक महत्वपूर्ण वजह कारगर व कम लागत में उपचार की कमी है।

भारत जैसे विकासशील देशों में हृदय संबंधी समस्या, रोड ट्रैफिक समस्या के बाद कैंसर एक बहुत बड़ी समस्या है। विशेषज्ञों का कहना है कि क्लीनिकल ट्रायल से भारत सहित अन्य देशों में कैंसर के निदान और उपचार की लागत को कम करने में मदद मिल सकती है।

एम्स,ऋषिकेश में कैंसर चिकित्सा विभाग के सह आचार्य डॉ. अमित सहरावत ने बताया कि देश ने पिछले कई दशकों में विकास किया है, लेकिन इसी के साथ- साथ देखा गया है कि इलाज पर आने वाले अधिक खर्च के चलते आमजन उपचार कराने में सक्षम नहीं होते। लिहाजा ऐसी स्थिति में क्लीनिकल ट्रायल द्वारा कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का निदान किया जा सकता है।

भारत तथा अन्य विकाशील देशों में कैंसर के इलाज व निदान संबंधित समस्याएं विकसित देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। इलाज से जुड़ा खर्च संभवत: इसका सबसे बड़ा कारण है जिसकी वजह से यहां पर कैंसर संबंधित मृत्यु दर ज्यादा है।

बायोसिमिलर तथा जेनेटिक दवाएं इस समस्या को काफी हद तक कम कर सकती हैं। बायोसिमिलर दवा के क्लीनिकल ट्रायल द्वारा फ़ास्ट ट्रैक अप्रूवल, भारत जैसे देश में एक सकारात्मक कोशिश हो सकती है। उन्होंने बताया कि इससे मरीज के उपचार पर आने वाली लागत को कम करने में मदद भी मिलेगी।

डॉ. सहरावत ने बताया कि समाज में क्लीनिकल ट्रायल को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं, कई लोग क्लीनिकल ट्रायल को सिर्फ एक प्रयोग मानते हैं, मगर यह सत्य नहीं है। दरअसल क्लीनिकल ट्रायल रोग के निदान और उपचार में काफी हद तक मददगार साबित होता है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस के आयोजन का उद्देश्य दुनियाभर के सभी देशों में समान स्वास्थ्य सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए लोगों को जागरूक करना, स्वास्थ्य संबंधी मामलों से जुड़े मिथकों को दूर करना और वैश्विक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं पर विचार करना और उन विचारों को क्रियान्वित करना है।

सात अप्रैल 2024 को विश्व स्वास्थ्य दिवस पर इस वर्ष की थीम “मेरा स्वास्थ्य, मेरा अधिकार” है, जो स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच को सुनिश्चित करने पर ज़ोर देती है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस के मद्देनजर एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने बताया कि, क्लीनिकल ट्रायल्स का महत्व अत्यधिक है। यह साक्ष्य आधारित दवाओं के विषय में अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे दवाओं की प्रभावकारिता और सुरक्षा का पूर्ण विश्वसनीय मूल्यांकन किया जा सकता है। क्लीनिकल ट्रायल्स के माध्यम से वैज्ञानिक तथ्यों का संग्रह होता है, जिससे यह पुष्टि की जा सकती है कि एक दवा वास्तव में कितनी प्रभावी और सुरक्षित है। इसके माध्यम से लोगों को सही और उत्तम उपचार की सुविधा होती है। इस दिशा में एम्स ऋषिकेश विश्व में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहा है।

ऑन्कोलॉजी/ कैंसर ट्रायल नेटवर्क की स्थापना
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों का समाधान भारतीय समाधानों से ही किया जा सकता है। भारत दुनिया में सबसे अधिक क्लीनिकल ट्रायल्स आयोजित करने वाले देशों में से एक है। भारत में राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन के तहत जैव प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से क्लीनिकल ट्रायल नेटवर्क की उत्पत्ति का समर्थन किया गया। ऐसी ही एक डीबीटी प्रायोजित पहल में से एक ऑन्कोलॉजी/ कैंसर ट्रायल नेटवर्क की स्थापना है।

इस बायोसिमिलर अनुसंधान को बढ़ावा देने से अंतत: देश में सस्ती कैंसर देखभाल उपलब्ध होगी। यह देश में महंगी लक्षित और इम्यूनोथेरेपी दवाओं की लागत में कमी की सुविधा प्रदान करेगा, जिसकी लागत प्रति माह लाखों रुपये है, इसलिए केवल कुछ ही भारतीय इसे वहन कर सकते हैं।

ऐसे डीबीटी वित्तपोषित कैंसर अनुसंधान नेटवर्क में से एक एनओसीआई भारत में ऑन्कोलॉजी क्लीनिकल ट्रायल का नेटवर्क है, जो देश के छह मेडिकल संस्थानों का कैंसर क्लीनिकल ट्रायल नेटवर्क है, जिनमें एम्स ऋषिकेश, जिपमर पुडुचेरी, एसयूएम भुवनेश्वर, सीएमसी लुधियाना,अमला अस्पताल, केरल और मीनाक्षी मिशन अस्पताल ,मदुरै शामिल हैं। यह नेटवर्क संपूर्ण देश में फैला हुआ है, जिसमें राष्ट्रीय महत्व के निजी और सरकारी संस्थान शामिल हैं। यह उत्तराखंड जैसे राज्यों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

जानकारों का कहना है कि यह नेटवर्क अंतर्राष्ट्रीय मानक कैंसर देखभाल अनुसंधान, बहुकेंद्र परीक्षणों के द्वार खोलेगा। इसका नेतृत्व एम्स ऋषिकेश के मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ. अमित सहरावत कर रहे हैं।

भविष्य में यह नेटवर्क स्थापित मानक के रूप में कार्य करेगा और इसी तरह के कार्य के लिए अन्य लोगों को पहल करने के लिए प्रेरित करेगा। चिकित्सा ऑन्कोलॉजी विभाग एम्स ऋषिकेश ने कैंसर, कैंसर देखभाल, क्लीनिकल ट्रायलों के बारे में जागरुकता बढ़ाने के लिए भविष्य में कई कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है।

नेटवर्क ऑफ ऑन्कोलॉजी क्लीनिकल ट्रायल्स इन इंडिया (एनओसीआई) भारत में कैंसर के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। यह राष्ट्रीय स्तर की पहल है जो भारत में कैंसर के उपचार के लिए नए और बेहतर तरीकों को विकसित करने के लिए विभिन्न संस्थानों को एक साथ लाता है। एम्स ऋषिकेश, उत्तराखंड में स्थित एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान, एनओसीआई का एक प्रमुख भागीदार है।

एम्स ऋषिकेश के सह-आचार्य, डॉ अमित सहरावत,  नेटवर्क ऑफ ऑन्कोलॉजी क्लीनिकल ट्रायल्स इन इंडिया के प्रधान अन्वेषक हैं और उन्होंने कई महत्वपूर्ण कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं का नेतृत्व किया है। एनओसीआई भारत में कैंसर के उपचार के लिए नई दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों के विकास पर केंद्रित है।

नए उपचारों की आवश्यकता
भारत में, कैंसर के मामलों की संख्या बढ़ रही है। इसलिए, हमें कैंसर के उपचार के लिए नए और बेहतर तरीकों को विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। भारत में किए गए क्लिनिकल ट्रायल्स हमें यह समझने में मदद कर सकते हैं कि कौन से उपचार भारतीय रोगियों के लिए सबसे प्रभावी हैं।

भारत में क्लीनिकल ट्रायल्स: मेक इन इंडिया का सर्वोत्तम उदाहरण
भारत में क्लीनिकल ट्रायल्स का क्षेत्र तेज़ी से विकसित हो रहा है। यह मेक इन इंडिया पहल का महत्वपूर्ण हिस्सा है। भारत में दुनिया में सबसे अधिक क्लीनिकल ट्रायल्स चल रहे हैं। यह भारत को वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान का केंद्र बना रहा है।

नए इलाज के तरीकों की आवश्यकता
भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए नए इलाज के तरीकों की आवश्यकता है। एनओसीआई जैसे ट्रायल नेटवर्क/ कोलेबोरेटिव रिसर्च कैंसर जैसी बीमारियों के लिए नई दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों के विकास पर महत्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।

भारत: दुनिया की फार्मेसी
भारत दुनिया की फार्मेसी के रूप में जाना जाता है। भारत में सस्ती और उच्च गुणवत्ता वाली दवाओं का उत्पादन होता है। यह विश्व में भारत का स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण  स्थान बनाता है।

विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 हमें स्वास्थ्य सेवाओं तक सभी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करता है। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी के लिए एनओसीआई जैसे संगठनों का योगदान महत्वपूर्ण है। विश्व स्वास्थ्य दिवस 2024 हमें यह याद दिलाता है कि स्वास्थ्य एक अधिकार है। हमें ‘मेक इन इंडिया’ के दृष्टिकोण को अपनाकर भारत में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए काम करना चाहिए।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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