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उत्तराखंड में आशा संगिनी पोर्टल लांच

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दून हॉस्पिटल में मरीजों का हाल जाना

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को दून हॉस्पिटल के ओटी एवं इमरजेंसी के नवनिर्मित भवन का लोकार्पण तथा “आशा संगिनी” पोर्टल को लांच किया। इस मौके पर हैंडबुक का भी विमोचन किया। मुख्यमंत्री ने हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों का हाल-चाल भी जाना।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आशा संगिनी पोर्टल के माध्यम से आशा वर्कर को स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं सरलता और प्रभावी रूप में प्राप्त होंगी। इसके माध्यम से राज्य की 12 हजार से अधिक आशा बहनों का समय पर भुगतान तथा उनके कार्यों का प्रभावी मूल्यांकन आसानी से होगा।

उन्होंने कहा, सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है कि उत्तराखंड के दूरस्थ पर्वतीय इलाकों तक सभी लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से प्राप्त हो सकें, इसके लिए ठोस प्रयास किए जा रहे हैं। इस अवसर पर मेयर सुनील उनियाल गामा , विधायक खजान दास, दिलीप सिंह रावत, सचिव स्वास्थ्य डॉ. आर. राजेश कुमार, प्रधानाचार्य दून मेडिकल कॉलेज डॉ. आशुतोष सयाना, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी एवं आशा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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