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बंद गोभी की फसल को कीटों से बचाने के उपाय जानिए

डॉ. राजेंद्र कुकसाल

  • लेखक कृषि एवं औद्योनिकी विशेषज्ञ हैं
  • 9456590999

पहाड़ी क्षेत्रों में बन्द गोभी की व्यवसायिक खेती बढ़े पैमाने की जा रही है कई कीट खड़ी फसल को हानि पहुँचाते हैं।

बन्द गोभी को हानि पहुंचाने वाले प्रमुख कीटः तम्बाकू की सूंड़ी (स्पोडोपटेरा लिट्यूरा), पर्णजाल (लीफ वेबर) ,हीरक पृष्ट तितली (डाइमंड बैक मौथ), सफेद तितली (व्हाइट बटर फ्लाई), अर्द्ध कुंडलक (सेमी लूपर)।

1. तम्बाकू की सूंड़ी (Spodoptera litura) 

इस कीट की सूंड़ी / लार्वा पौधों की पत्तियों को खा जाती है और उन्हें पूरी तरह क्षति पहुंचाती है।

इस कीट के वयस्क ( मौथ ) 15-18 मिमी. लम्बे, जिनका रंग मटमैला भूरा होता है तथा अग्र पंख सुनहरे-भूरे रंग के सिरों पर टेढ़ी-मेढ़ी धारियां और धब्बे होते हैं। पिछले-पंख सफेद तथा भूरे किनारों वाले होते हैं। मादा मौथ आकार में नर से कुछ बड़ी होती है। ये मौथ रात्रिचर होते हैं। दिन में दिखाई नहीं देते।

इन कीटों का जीवन चक्र लगभग एक माह तक का होता है तथा एक वर्ष में इनकी 12 पीढ़ियां तक हो जाती हैं।

जीवन चक्रः मादा मौथ 50 से 300 अंडे देती है। यह पत्तियों की निचली सतह पर अंडे देती है। अंड-गुच्छों को मादा अपने शरीर के भूरे बालों से ढंक देती है। अंडे की अवस्था 3 से 7 दिनों की होती है।

अंडों से 2 से 3 दिनों में इल्लियां /लार्वा निकलती है, जो पत्ती की निचली सतह पर ही समूह में रहकर पर्ण-हरित खुरच-खुरच कर खाती है।

सूंडियां / लार्वा पत्तियों को खाकर बड़े आकार के हो जाते हैं। लार्वा में छह बार मोल्टिंग ( केंचुल बदलना) होती है।

पूर्ण विकसित सूंडियां हरे, भूरे या कत्थई रंग की होती हैं। शरीर के हर खंड के दोनों तरफ काले तिकोन धब्बे इसकी विशेष पहचान है। इसके उदर के प्रथम एवं अंतिम खंडों पर काले धब्बे एवं शरीर पर हरी-पीली गहरी नारंगी धारियां होती हैं।

सूंडियां रात्रिचर होती हैं। दिन के समय साधारणतः लार्वा पौधों के समीप जमीन के अंदर होते हैं।

पूर्ण विकसित इल्ली 30-40 मिमी. लम्बी होती है। यह 15 से 22 दिन में प्यूपा में बदल जाती है। प्यूपा भूमि के भीतर कोये में पाई जाती है। प्यूपा में से 8-10 दिन बाद वयस्क मौथ निकलते हैं।

2.डाइमंड बैक माथ (हीरक पृष्ठ तितली)

जब ये कीट पीछे की ओर मुड़कर धड़ के साथ चिपक अथवा सट जाते हैं तो पीठ की आकृति हीरे के समान प्रतीत होती है, इसलिए इस कीट को हीरक कीट कहते हैं।

ये कीट पत्तियां पर एक-एक कर अलग-अलग अथवा पांच से छह के समूह में अंडे देते हैं। अंडे शुरू में हल्के पीले रंग के होते हैं तथा बाद में भूरे रंग के हो जाते हैं।

इस कीट की सूंडियां (लार्वा) एक सेमी. लंबी हल्के रंग की होती है तथा छूने पर उछलती हैं। सूंडियां मुख्य रूप से पत्तियों को खाती हैं। पत्तियों की शिराओं के बीच के हरे भाग को खाकर उनमें छिद्र बना देती हैं।

3. बंद गोभी की सफेद तितली 

इस कीट का वयस्क सफेद रंग की तितली होता है। इसके अगले पंख पीलापन लिए हुए सफेद रंग के होते हैं, जिसके ऊपर दो काले धब्बे पाए जाते हैं।

सफेद तितली दिन में पीले रंग के अंडे समूह में पत्तियों की निचली व ऊपरी सतह पर देती हैं। इन अंडों से एक सप्ताह के अंदर सूंडियां निकलती हैं।

शुरू की अवस्था में सूंडियां समूह में रहकर पत्तियों को खाती हैं, लेकिन बाद में अलग अलग फैल जाती हैं। सूंडियां पौधों की पत्तियों को काटकर नुकसान पहुंचाती हैं।अधिक प्रकोप होने पर पत्तियों की केवल नसें ही दिखाई देती हैं।

4. पर्ण जाल कीट ( लीफ वेबर) –

इस कीट की हरे रंग की सूंडियों पत्तियों को खा कर उसमें छिद्र कर देती हैं तथा शीर्ष भाग जहां से कोमल पत्तियां निकलती हैं, वहां अन्दर ही अन्दर खाती रहती हैं। ये पत्तियों के निचले भाग से चिपकी रहती हैं। पत्तियों में शिराओं को छोड़कर ये शेष सभी भागों को खा जाती हैं।

कीटों की रोकथाम कैसे करें

1. इन कीटों की चार अवस्थाएं अंडा, सूंड़ी,प्यूपा व वयस्क होती हैं। इन चारों अवस्थों को नष्ट करने का प्रयास करने पर ही फसल को नुकसान से बचाया जा सकता है।

फसल की निगरानी करते रहें। पत्तियों / पौधों के किसी भाग पर जैसे ही अंडे , सूंडियां दिखाई दें, उन पत्तियों / पौधे के भाग को हटाकर अंडों व सूंडियों को नष्ट करें।

2. ट्रैप क्राप (प्रपंच फसल) –

सरसों को बंद गोभी की ट्रेप क्राप के रूप में प्रयोग करें। बंद गोभी की मुख्य फसल के साथ सरसों बोने पर बंद गोभी पर लगने वाले कीट के वयस्क मादा सरसों के पौधों पर ही अंडे देती है।

वहीं पर इन कीटों की सूंडियां विकसित होती हैं तथा सरसों की फसल को ही हानि पहुंचती हैं। क्षतिग्रस्त सरसों पर कीटनाशक का छिड़काव कर या क्षतिग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट करके कीट का प्रकोप बंद गोभी की फसल पर कम किया जा सकता है।

बंद गोभी की 15 लाइनों के बाद दो लाइनें सरसों की उगानी चाहिए। सरसों की दो लाइनों में से एक लाइन की बुवाई बंद गोभी की रोपाई के 15 दिन पहले करनी चाहिए, जिससे बंद गोभी की रोपाई के समय सरसों का पौधा 4-5 सेमी. की ऊंचाई प्राप्त कर ले और बंद गोभी पर लगने वाले कीटों के प्रारंभिक हमले से बच सकें।

सरसों की दूसरी लाइन की बुवाई बंद गोभी की रोपाई के लगभग 25 दिन बाद करें, जिससे कीटों को सरसों की पत्तियां बंद गोभी के पूरे जीवन काल तक मिलती रहे और बंद गोभी को क्षति न हो।

3. प्रकाश प्रपंच की सहायता से रात को वयस्क मौथ को आकर्षित कर उन्हें नष्ट करते रहना चाहिए।

प्रकाश प्रपंच के लिए एक चौड़े मुंह वाले बर्तन ( पारात,तसला आदि ) में कुछ पानी भर लें तथा पानी में मिट्टी तेल मिला लें। इस बर्तन के ऊपर मध्य में विद्युत बल्ब लटका दें। यदि खेत में बल्ब जलाना संभव न हो, तो बर्तन में दो ईंट या पत्थर रखकर उसके ऊपर लालटेन या लैंप रख दें।

लालटेन को तीन डंडों के सहारे भी लटका सकते हैं। शाम 7 से 10 बजे तक बल्ब, लालटेन या लैंप को जलाकर रखें।

वयस्क मौथ प्रकाश से आकर्षित होकर बल्ब, लालटेन व लैंप से टकराकर बर्तन में रखे पानी में गिरकर मर जाते हैं। प्रकाश प्रपंच का प्रयोग आसपास के सभी कृषक  मिलकर करें। बाजार में भी प्रकाश प्रपंच/ सोलर प्रकाश प्रपंच उपलब्ध हैं।

4. वयस्क मौथ/पतंगों को आकर्षित करने के लिए फ्यूरामोन ट्रैप का प्रयोग कर उन्हें नष्ट करें-

फ्यूरामोन ट्रैप को गंध पाश भी कहते हैं। इसमें एक प्लास्टिक की थैली पर कीप आकार की संरचना लगी होती है, जिसमें ल्योर ( गंध पास ) लगाने के लिए एक सांचा दिया होता है।

ल्योर में फ्यूरामोन द्रव्य की गंध होती है, जो आसपास के नर कीटों को आकर्षित करती है। ये ट्रैप इस तरह बने होते हैं कि इसमें कीट अन्दर जाने के बाद बाहर नहीं आ पाते हैं।

फ्यूरामोन ट्रैप में एक माह बाद ल्योर ( गंध पास ) की टिकिया बदलते रहें। बीज दवा की दुकानों में फ्यूरामोन ट्रैप उपलब्ध रहते हैं। AMAZON से भी ऑनलाइन फ्यूरामोन ट्रैप मंगा सकते हैं। दस पौधों के बीच एक फ्यूरामोन ट्रैप का प्रयोग करें।

5. ब्यूवेरिया बेसियाना ( दमन, बायो पावर ) पांच ग्राम दवा ( एक चम्मच ) को एक लीटर पानी में घोल बनाकर इल्लियां/ लार्वा के ऊपर छिड़काव करें प्यूपा को नष्ट करने के लिए पौधों के पास की भूमि को भी दवा के घोल से तर करें। दवा का छिड़काव शाम को करें।

6. फसल पर नीम आधारित कीटनाशकों, जैसे निम्बीसिडीन निमारोन,इको नीम, अचूक या बायो नीम में से किसी एक का तीन मिली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर शाम को या सूर्योदय से एक दो घंटे पहले पौधों पर दस दिन के अंतराल पर छिड़काव करते रहें, जिससे तितली पौधों पर अंडे न दे सके।

दवा के घोल में प्रिल ,निरमा या कोई भी अन्य लिक्विड डिटर्जेंट की कुछ बूंदें मिलाने पर दवा अधिक प्रभावी होती है। प्यूपा नष्ट करने के लिए पौधों की जड़ों के पास की भूमि को दवा के घोल से खूब तर करें।

7.प्यूपा अवस्था नष्ट करने के लिए पौधों की जड़ों के पास गहरी निराई गुड़ाई करें।

रासायनिक उपचार-

यदि जैविक विधियों से कीटों का नियंत्रण नहीं हो पा रहा है तो फसल को बचाने के लिए रासायनिक दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं।

इमिडाक्लोप्रिड ,क्लोरपाइरीफास या मैलाथियान 1 मिली. दवा का एक लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें। सात दिन के अन्तराल पर पुनः छिड़काव करें। एक ही दवा का छिड़काव बार-बार न करें।

Keywords: Dr. Rajendra Kuksal, Commercial cultivation of cabbage, Major pests causing damage to Cabbage, Tobacco beetle, leaf webber, diamond back moth, white butterfly, Semi-looper, Tobacco larva, Band Gobhi ki Kheti kaise karein

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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