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उत्तराखंडः भाजपा जीतकर भी नहीं तोड़ पाई अपना रिकार्ड, कांग्रेस कुछ आगे बढ़ी

2017 की तुलना में भाजपा का वोट प्रतिशत घटा, कांग्रेस ने 4.42 फीसदी का इजाफा किया

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव परिणाम आ चुके हैं और राजनीतिक माहौल काफी कुछ बदल चुका है। सबसे बड़ी बात राज्य में बारी-बारी से सरकार बनाने का राजनीतिक दलों का ट्रेंड भी धराशाई हो गया। जहां भाजपा सरकार बनाने जा रही है, वहीं कांग्रेस हार की समीक्षा करते हुए रणनीतिक कमियों को तलाशने में जुट गई है। AAP (आम आदमी पार्टी), जिसके बारे में माना जा रहा था कि वो उत्तराखंड चुनाव में बड़ा हस्तक्षेप करेगी, उसका एक भी विधायक नहीं है, बल्कि वोट प्रतिशत के मामले में बसपा से पीछे है।

इन दलों के वोट प्रतिशत में 2017 और 2022 के चुनाव में बदलाव पर नजर डालते हैं। 2017 में भाजपा ने 46.51 प्रतिशत अंकों के साथ जीत हासिल करके उत्तराखंड में सरकार बनाई थी। इस बार भाजपा फिर राज्य में सरकार बनाने जा रही है और उसका कुल वोट प्रतिशत 44.33 है, जो कि पहले से 2.18 फीसदी कम है, कुल मिलाकर भाजपा जीत के बाद भी अपना रिकार्ड नहीं तोड़ पाई। इस बार भाजपा को 2017 की तुलना में कम सीटें 47 ही मिली हैं, जबकि 2017 में उसके 56 प्रत्याशी विजयी हुए थे। उसको 2017 में 23,14,250 वोट मिले थे।

वहीं 2022 में कांग्रेस ने अपने वोट प्रतिशत में कुछ इजाफा किया है, उसका वोट प्रतिशत 37.91 फीसदी है, जो 2017 में 33.49 फीसदी था। कांग्रेस को 2017 की तुलना में ज्यादा सीटें 19 हासिल हुई हैं, जबकि 2017 में उसके मात्र 11 प्रत्याशी निर्वाचित हुए थे। कांग्रेस को 2017 में 16,66,379 वोट मिले थे। इस चुनाव में कांग्रेस भले ही सरकार बनाने की स्थिति में नहीं है, लेकिन उसके वोट प्रतिशत में 4.42 फीसदी का इजाफा हुआ है।

बसपा की बात करें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में उसको उत्तराखंड में एक भी सीट नहींं मिली थी, तब उसका वोट प्रतिशत 7.04 फीसदी थी, अब जब बसपा के पास दो विधायक हैं, उसका वोट प्रतिशत 4.82 फीसदी है। कुल मिलाकर बसपा को दो विधायक तो मिल गए, पर राज्य में उसका मतप्रतिशत 2.22 प्रतिशत घट गया है।

वहीं, उत्तराखंड में बड़े जोर शोर से एंट्री करने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) ने राज्य में मात्र 3.31 फीसदी वोटों के साथ खाता खोला है।

उत्तराखंड के शुरुआती चुनाव 2002 से बात करें तो उस समय कांग्रेस ने 26.91 प्रतिशत वोटों के साथ उत्तराखंड में सरकार बनाई थी, जबकि भाजपा को 25.81 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।

2007 में भाजपा के वोट बैंक में सुधार हुआ और उसने 31.9 प्रतिशत वोट हासिल किए और सरकार बनाई, इस चुनाव में कांग्रेस को 29.59 फीसदी वोट मिले थे। 2012 में कांग्रेस और फिर 2017 में भाजपा ने सरकार बनाई थी।

2002 से 2017 तक प्राप्त वोट प्रतिशत

वर्ष भाजपा कांंग्रेस बसपा उक्रांद निर्दलीय
2002 25.81 26.91 11.20 6.36 16.63
2007 31.90 29.59 11.76 6.38 11.21
2012 33.38 34.03 12.28 3.20 12.28
2017 46.51 33.49 7.04 1 10.38

मुख्य रूप से निम्न तथ्य सामने आते हैं-

2002 से 2017 तक हर चुनाव में भाजपा के वोट बैंक में बढोतरी हुई। भले ही वो सत्ता में आई हो या नहीं। , भाजपा ने 2017 में 13.13 फीसदी वोटों की बड़ी उछाल के साथ सत्ता हासिल की थी। इस बार 2022 में सत्ता में आई भाजपा के वोट बैंक में पिछले चुनाव की तुलना में कमी आई है।

वहीं, केवल 2017 के चुनाव को छोड़कर कांग्रेस भी हर बार वोट प्रतिशत में इजाफा करती रही। हालांकि 2017 के चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत महज 0.54 फीसदी ही कम हुआ था। 2022 में कांग्रेस का वोट प्रतिशत अभी तक के चुनाव में सबसे ज्यादा है।

2002 में बहुजन समाज पार्टी के सात प्रत्याशी निर्वाचित हुए थे। बसपा को 11.20 फीसदी वोट मिले थे। 2007 में बसपा के 11.76 फीसदी वोटों के साथ आठ प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। 2012 में बसपा के निर्वाचित दावेदारों की संख्या घटकर तीन हो गई, पर पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़कर 12.28 प्रतिशत हो गया। 2017 में बसपा का एक भी प्रत्याशी जीत हासिल नहीं कर सका और वोट प्रतिशत 7.04 फीसदी पर पहुंच गया। पर, इस बार बसपा को दो विधायक मिले है, पर उसका वोट प्रतिशत अब तक के चुनाव में, सबसे कम है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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