महिलाओं की विंग बनाएगा वन गुज्जर ट्राइबल युवा
वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन ने मोहम्मद इशाक बानिया को पुनः अध्यक्ष चुना
कुनाऊं। वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन ने दो साल पूरे होने पर स्थापना दिवस मनाया। इस मौके पर संगठन की नई कार्यकारिणी का गठन किया गया, जिसमें सर्वसम्मति से मोहम्मद इशाक बानिया को पुनः अध्यक्ष चुना गया। साथ ही, निर्णय लिया गया कि महिलाओं की विंग का गठन किया जाएगा,जिसकी रूपरेखा बनाने की जिम्मेदारी आमना मसर को सौंपी गई। इस दौरान समुदाय के हितों के लिए कार्य कर रहीं निकिता ने वन गुज्जर ट्राइबल युवा संगठन की वेबसाइट https://vangujjar.com/ को लांच किया।
संगठन के संस्थापक अमीर हमजा, जो कि वन गुज्जर समुदाय के हितों के लिए लंबे समय से काम कर रहे हैं, की मौजूदगी में संगठन की तीसरे वर्ष की कार्यकारिणी पर चर्चा की गई। JNU -Centre for the Study of Law & Governance से एमफिल प्रणव मैनन और शमशाद चेची को संगठन का संरक्षक बनाया गया।
इससे पहले संगठन के स्थापना दिवस पर वन गुज्जर समुदाय के युवाओं ने मानचित्र के माध्यम से जैवविविधता में परिवर्तन पर बात की। उन्होंने बताया, किस तरह गुज्जर समुदाय ने जैव विविधता को समृद्ध किया है। पर्यावरण संरक्षण में गुज्जर समुदाय के योगदान पर भी चर्चा की गई। इस दौरान समुदाय की शिक्षा, रीति रिवाज, संस्कृति, परंपराओं के साथ ही, वन अधिकार कानून.2006 (Forest right Act 2006) तथा महिलाओं के सशक्तीकरण व उनके प्रोत्साहन पर भी चर्चा की गई।
संगठन के संस्थापक अमीर हमजा ने बताया, अगले वर्ष सेला पर्व पर अधिक से अधिक पौधारोपण किया जाएगा। सेला पर्व वन गुज्जर समुदाय का पारंपरिक पर्व है, जिसमें हरियाली के पौधारोपण किया जाता।
इस पर जैवविविधता पर प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसके माध्यम से जैव विविधता एवं पर्यावरण संरक्षण को लेकर युवाओं की समझ को जाना गया। प्रतियोगिता युवाओं ने उपस्थित लोगों ने पेड़ पौधों और उनके उपयोग पर कई सवाल किए। इस प्रतियोगिता में शिवपुरी रेंज नरेंद्रनगर से अब्राहीम भडाना विजेता घोषित हुए। श्यामपुर रेंज हरिद्वार से इमरान कसाना व नजाकत चेची संयुक्त रूप से दूसरे, कुनाऊं चौड़ गोहरी रेंज से आफताब चौहान तीसरे स्थान पर रहे। रफी बागड़ी गैंडीखाता को सांत्वना पुरस्कार प्रदान किया गया।
इस अवसर पर संगठन के उपाध्यक्ष अमानत चेची, मोहम्मद शमशाद बानिया, फैजान पौषवाल, आजाद गुज्जर, रेशमा खातून सहित बड़ी संख्या में गुज्जर समुदाय उपस्थित रहा।