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शादी में अड़चनें आ रही हैं तो करें ये उपाय

हम सभी अपने जीवनसाथी को लेकर सपने देखते हैं। कई बार देखा गया है कि सपनों का राजकुमार या राजकुमारी मिल भी जाए तो उस के साथ शादी में अड़चनें आती हैं। इससे परिजन को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इन अड़चनों का कुछ उपाय उपनाकर दूर किया जा सकता है। यह उपाय बेहद सरल हैं। केले के वृक्ष की पूजा करें। गुरुवार को केले के वृक्ष के सामने गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए तथा जल भी अर्पित करना चाहिए। मनचाहे जीवनसाथी का नाम लेकर कामना करें।

छुआरे सिरहाने रख कर सोएं। शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोएं। तथा शनिवार को प्रात स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में मनचाहे साथी का स्मरण करते हुए इन्हें प्रवाहित कर दें।

चांदी की छोटी कटोरी में गाय का दूध लेकर उसमें शक्कर एवं उबले हुए चावल मिलाकर चतुर्थी के चंद्रोदय के समय चंद्रमा को नेवैद्य बताएं। चंद्रमा में अपने प्रेमी साथी के चेहरे की कल्पना करें। गुरुवार के दिन प्रातकाल हल्दीयुक्त रोटियां बनाकर प्रत्येक रोटी पर गुड़ रखें व उसे गाय को खिलाएं।

गुरुवार नियमित रूप से यह विधि करने से शीघ्र विवाह होता है। गाय के कान में धीरे से फुसफुसाकर साथी का नाम लें। मंगलवार के दिन देवी मंदिर में लाल गुलाब के फूल चढ़ाएं, पूजन करें एवं मंगलवार का व्रत रखें। यह नौ मंगलवार तक करें। गुलाब के फूलों के बीच अपने साथी का नाम लिखकर कागज छुपा दें।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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